अब जब कांग्रेस नेतृत्व ने असंतुष्ट नेताओं से मुलाकात और बातचीत शुरू कर दी है तो यह माना जाना चाहिए कि पार्टी के अंदर लंबे वक्त से चला आ रहा संकट खत्म हो सकता है।
लगातार मिल रही चुनावी हार के बाद कांग्रेस के सामने मुसीबतों का पहाड़ खड़ा हो गया है। पार्टी को अपने नेताओं की बयानबाज़ी के अलावा क्षेत्रीय दलों की चुनौती से भी निपटना है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने आज़ाद से संपर्क साध कर पार्टी में किसी तरह के बिखराव की आशंका को दूर करने और दूरियों को खत्म करने की कोशिश की है।
कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं का G-23 गुट चुनावी राज्यों में करारी हार के बाद फिर से कांग्रेस नेतृत्व पर हमलावर हो गया है। क्या वह गांधी परिवार को कांग्रेस से बेदख़ल कर देना चाहता है?