कांग्रेस में असंतुष्ट नेताओं के गुट G-23 के द्वारा पार्टी नेतृत्व पर बनाया गया दबाव अब असर दिखाने लगा है। पांच राज्यों में हुई कांग्रेस की करारी हार के बाद G-23 के नेताओं की बैठक गुलाम नबी आज़ाद के आवास पर हुई और इसी बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आज़ाद से बातचीत की है।
माना जा रहा है कि कांग्रेस हाईकमान ने आज़ाद से संपर्क साध कर पार्टी में किसी तरह के बिखराव की आशंका को दूर करने और दूरियों को खत्म करने की कोशिश की है।
सोनिया गांधी की गुलाम नबी आज़ाद के साथ बातचीत बेहद महत्वपूर्ण है क्योंकि G-23 और कांग्रेस नेतृत्व के बीच में संवाद हीनता की वजह से मीडिया में तमाम तरह की खबरें आने लगी हैं। कुछ खबरों में पार्टी में बिखराव होने की बात कही गई है लेकिन अगर कांग्रेस हाईकमान का असंतुष्टों से सीधा संपर्क आगे भी बना रहता है तो यह माना जाना चाहिए कि आने वाले दिनों में पार्टी के अंदर सब कुछ शांत हो सकता है।
G-23 गुट के नेताओं की इस बैठक पर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों की नजरें लगी हुई थीं। बैठक के बाद गुट के नेताओं की ओर से जो बयान जारी किया गया है उसमें पांच राज्यों के चुनावी नतीजों और कार्यकर्ताओं-नेताओं के पार्टी को छोड़ने के मुद्दे पर विचार-विमर्श होने की बात कही गई है।
बयान में कहा गया है कि कांग्रेस सभी स्तरों पर सामूहिक और समावेशी नेतृत्व और निर्णय लेने के मॉडल को अपनाए।
इन नेताओं ने यह भी कहा है कि बीजेपी के खिलाफ लड़ने के लिए यह जरूरी है कि कांग्रेस को मजबूत किया जाए और पार्टी समान विचारधारा वाले दलों के साथ 2024 के चुनाव के लिए एक प्लेटफ़ॉर्म बनाए। G-23 के नेताओं ने कहा है कि अगले कदम के बारे में एलान जल्द किया जाएगा।
सूत्रों के मुताबिक़, बैठक में इन नेताओं ने यह भी कहा कि पार्टी में अभी किसी तरह की टूट नहीं होगी लेकिन उन्होंने गांधी परिवार से कहा कि वे अपने करीबियों को बड़े पदों से हटाए जिससे पार्टी फिर से खड़ी हो सके।
बैठक में शामिल एक नेता ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि हम लोग पार्टी को तब तक नहीं छोड़ेंगे जब तक हमें बाहर नहीं निकाल दिया जाता लेकिन हम लोग पार्टी में लोकतंत्र के लिए जोर देते रहेंगे और पार्टी को लोकतांत्रिक बनाने और 2024 में बीजेपी का विकल्प बनाने के लिए देशभर में घूमेंगे।
चुनावी राज्यों में मिली करारी हार के बाद यह तय माना जा रहा था कि इस गुट के नेता पार्टी हाईकमान पर अपने हमले तेज करेंगे और ऐसा ही बीते दिनों में होते हुए दिखाई दिया है। जब इस गुट के नेता कपिल सिब्बल ने गांधी परिवार से हटने और किसी अन्य नेता को मौका देने की बात कही।
G-23 गुट की ओर से जारी किए गए बयान पर गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, कपिल सिब्बल, मनीष तिवारी, भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अखिलेश प्रताप सिंह, संदीप दीक्षित, पीजे कुरियन, कुलदीप शर्मा, विवेक तन्खा, एमए खान, राजिंदर कौर भट्ठल, राज बब्बर और पृथ्वीराज चव्हाण के हस्ताक्षर हैं।
इन नेताओं के अलावा मणिशंकर अय्यर, शशि थरूर, परनीत कौर और शंकर सिंह वाघेला भी इस बैठक में शामिल हुए।
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