‘G-23’ के अपंजीकृत नाम से सक्रिय कांग्रेस के ग़ैर-ज़मीनी असंतुष्ट और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आपस में औपचारिक रूप से मिले हुए बिना भी एक ही उद्देश्य के लिए काम करते नज़र आते हैं! उद्देश्य है कांग्रेस से ‘परिवार’ के ‘अवैध क़ब्ज़े’ को ख़त्म करना।
असंतुष्टों का मानना है कि इसके बाद कांग्रेस पूरी तरह मज़बूत होकर सारे चुनाव जीतने लगेगी; जो पार्टी अभी ‘घर’ की है वह फिर ‘सब की’ हो जाएगी। दूसरी ओर, प्रधानमंत्री का मानना यह हो सकता है कि इसके बाद कांग्रेस जड़ से ही ख़त्म हो जाएगी।
मोदी और कांग्रेस के G-23 गुट का मक़सद क्या एक है?
- विचार
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- 17 Mar, 2022

मोहन भागवत के नेतृत्व वाली आरएसएस और उसके अनुषांगिक संगठन महात्मा गांधी से डरते हैं, उन्हें ख़त्म देखना चाहते हैं और मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी कांग्रेस से ख़ौफ़ खाती है। देश को अंग्रेजों से स्वतंत्रता मिलने के बाद दोनों ही भारत को गांधी और कांग्रेस से मुक्ति दिलवाना चाहते हैं।
आरोप है कि मोदी जबसे प्रधानमंत्री बने हैं बीजेपी को जोड़ने और कांग्रेस को तोड़ने के काम में लगे हुए हैं। वे जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब भी बारह सालों तक उन्होंने यह कोशिश की पर उसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए। उनके गुजरात के प्रयोगों के बारे में तो यह भी प्रचारित है कि वे कांग्रेस ही नहीं बीजेपी को भी अपनी ज़रूरत के मुताबिक़ लगातार तोड़ते रहे।