महानगरों की पॉश कॉलोनियों में रहने वाले लोग इस बात का दम भरते हैं कि जातिवाद ख़त्म हो गया है लेकिन इस व्यवस्था की घिनौती सूरत कभी शहरों तो कभी गांवों से सामने आती रहती है। उत्तराखंड से फिर एक बार ऐसी ख़बर सामने आई है, जिसने साबित किया है कि जातिवाद न सिर्फ़ मौजूद है बल्कि इसकी जड़ें भी काफ़ी गहरी हैं।