उत्तर प्रदेश में विधान परिषद के शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र और स्नातक निर्वाचन क्षेत्र की 11 सीटों पर हुए चुनावों में बीजेपी को प्रधानमंत्री मोदी के चुनाव क्षेत्र वाराणसी में मुँह की खानी पड़ी है। वाराणसी में शिक्षक व स्नातक दोनों सीटों पर बीजेपी के प्रत्याशी हार गए हैं। वाराणसी में शिक्षक विधान परिषद सीट पर तो बीजेपी समर्थित प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा है। शिक्षक एमएलसी की छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार कर बीजेपी ने तीन सीटें ज़रूर जीत ली हैं और अरसे से इन सीटों पर वर्चस्व रखने वाले शर्मा गुट वाले शिक्षक संघ को क़रारी मात दे दी है। विधान परिषद में 1970 से लगातार जीतते आ रहे माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के कद्दावर नेता ओमप्रकाश शर्मा को मेरठ से हराकर बीजेपी ने ज़रूर बड़ा क़िला फतह किया है।
पहली बार समाजवादी पार्टी ने शिक्षक सीटों पर अपना खाता खोला है और वाराणसी में उसके प्रत्याशी लालबिहारी यादव ने जीत हासिल की है। वाराणसी की स्नातक सीट पर भी समाजवादी प्रत्याशी आशुतोष सिन्हा लगातार बढ़त बनाए रहे। अंतिम समाचार मिलने तक स्नातक क्षेत्र की पाँच विधान परिषद सीटों में से दो पर बीजेपी की बढ़त बनी हुई थी जबकि सपा को एक तो दो सीटों पर निर्दलीयों की बढ़त थी।
पहली बार शिक्षक राजनीति में दलों का दखल
बीते 50 सालों से उत्तर प्रदेश की शिक्षक राजनीति में राजनैतिक दलों की दाल नहीं गल सकी थी। विधान परिषद में शिक्षक क्षेत्र की एक दर्जन सीटों पर माध्यमिक शिक्षक संघ के शर्मा व पांडे गुट का ही कब्जा बना रहता था। शिक्षक संघ के शर्मा गुट के मुखिया ओमप्रकाश शर्मा बीते 48 सालों से परिषद के सदस्य रहे हैं। इस बार बीजेपी ने सभी छह सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे और तीन सीटें जीत लीं।
वित्तविहीन शिक्षकों के संघ ने एक सीट जीती जबकि सपा ने एक तो शर्मा गुट ने एक सीट पर कब्जा जमाया। बीते चुनावों में पहली बार वित्त विहीन शिक्षकों के संघ ने इन चुनावों में हिस्सा लिया था और एक सीट जीती थी।
बीजेपी के श्रीचंद शर्मा मेरठ से, हरि सिंह ढिल्लों बरेली-मुरादाबाद और उमेश द्विवेदी लखनऊ शिक्षक क्षेत्र से चुनाव जीत गए हैं। शिक्षक संघ शर्मा गुट के ध्रुव कुमार त्रिपाठी अकेले गोरखपुर-फैज़ाबाद सीट से जीत सके हैं जबकि वित्तविहीन शिक्षक संघ के आकाश अग्रवाल को आगरा से तो सपा के लालबिहारी को वाराणसी से जीत मिली है।
स्नातक सीटों पर भी कड़ा मुक़ाबला
सबसे ज़्यादा तैयारी के साथ इन चुनावों में उतरी बीजेपी का दावा स्नातक एमएलसी की सभी सीटों को जीतने का था हालाँकि नतीजे या रुझान मिले-जुले ही रहे हैं। लखनऊ सीट पर निर्दलीय कांति सिंह तो वाराणसी सीट पर सपा के आशुतोष सिन्हा बढ़त बनाए रहे। आगरा में बीजेपी के मानवेंद्र सिंह और सपा के असीम यादव में कड़ा मुक़ाबला रहा, जबकि झांसी-इलाहाबाद सीट पर सपा के मान सिंह यादव बढ़त की ओर रहे। मेरठ में शिक्षक सीट जीतने के बाद स्नातक सीट पर भी बीजेपी प्रत्याशी आगे चल रहे थे।
मतगणना में हंगामा
इससे पहले विधान परिषद की सीटों के लिए हुई मतगणना में वाराणसी से लेकर लखनऊ तक कई जगह विपक्ष ने ज़बरदस्त हंगामा किया। विपक्षी दलों का आरोप है कि बैलेट बॉक्सों की सील टूटी हुई पाई गयी और ज़्यादा मत पत्र निकले हैं। लखनऊ स्नातक सीट पर गुरुवार को हंगामे के चलते पूरे दिन मतगणना ही शुरू नहीं हो सकी। वाराणसी में प्रशासन पर आरोप लगाते हुए सपा व निर्दलीय प्रत्याशियों ने हंगामा किया। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट कर विधान परिषद चुनावों में बीजेपी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या करने जैसा आरोप भी जड़ा। उन्होंने यूपी की क़ानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए।
विधान परिषद के चुनाव में सपा की जीत व अपनी हार से बौखलाए भाजपाइयों ने मतगणना में घपले की कोशिश में झाँसी की पुलिस पर जानलेवा हमला किया. पुलिस पर हमलावार भाजपाइयों की तुरंत गिरफ़्तारी हो. भाजपा लोकतंत्र को निर्लज्ज होकर लूटना चाहती है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) December 4, 2020
उप्र में क़ानून-व्यवस्था पूरी तरह ठप्प है.
बीजेपी और विपक्ष दोनों का जीत का दावा
अपेक्षित नतीजे न मिलने के बाद भी बीजेपी ने विधान परिषद चुनावों को लेकर अपनी पीठ ठोंकी। बीजेपी के नेताओं ने शिक्षक नेता ओमप्रकाश शर्मा के हारने और तीन सीटें झटकने को अपनी बड़ी जीत बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि स्नातक सीटों पर भी उसका प्रदर्शन अच्छा रहा है। वहीं सपा ने कहा कि बैलेट पेपर से हुए चुनावों ने दिखा दिया है कि बीजेपी कहाँ ठहरती है। सपा का कहना है कि पहली बार शिक्षक कोटे की सीटों पर उसने एक सीट जीती और दो पर जोरदार मुक़ाबला किया है। स्नातक सीटों पर भी पार्टी ने बेहतर प्रदर्शन कर बीजेपी की सीट छीनी है और अपनी कोई सीट गँवायी नहीं है।
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