ढाई सौ साल से चल रहे राम मंदिर-बाबरी मसजिद विवाद पर फ़ैसला आने में कुछ ही दिन शेष हैं। इसे लेकर देश भर में चौक-चौराहों से लेकर दफ़्तरों, घरों तक में यह चर्चा है कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला किसके हक़ में जायेगा और उसके बाद क्या हालात बनेंगे। बताया जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट 17 नवंबर से पहले कभी भी फ़ैसला सुना सकता है।
भारत सरकार भी इसे लेकर पूरी तरह अलर्ट है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री ने सभी मंत्रियों को निर्देश दिया है कि इस मामले में ग़ैरजरूरी या भड़काऊ बयानबाज़ी नहीं होनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि शांति और सौहार्द्र को बनाये रखना हम सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने कहा कि मंत्री अपने संसदीय क्षेत्रों में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील करें।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस), बीजेपी और विश्व हिन्दू परिषद ने भी अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि फ़ैसला चाहे जो भी हो, इसे स्वीकार करना है और किसी भी तरह की विवादास्पद प्रतिक्रिया नहीं देनी है। इन संगठनों ने अपने कार्यकर्ताओं को भड़काऊ बयान देने से बचने के लिये कहा है और अपील की है कि वे किसी तरह के उकसावे में न आएँ।
बताया जा रहा है कि संघ अयोध्या पर फ़ैसला आने से पहले सभी राजनीतिक दलों से बातचीत करने की तैयारी में है। संघ और बीजेपी के नेता कई मुसलिम नेताओं से भी मुलाक़ात कर चुके हैं। संघ के शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुसलिम धर्मगुरुओं के साथ बैठकें भी करने की तैयारी है।
‘मन की बात’ में किया था जिक्र
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अक्टूबर को ‘मन की बात’ में भी भी अयोध्या के मुद्दे का जिक्र किया था। उन्होंने इस दौरान अयोध्या मसले पर 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फ़ैसले का जिक्र करते हुए कहा था कि तब सरकार ने, राजनीतिक दलों ने, सामाजिक संगठनों ने, सिविल सोसायटी ने सामाजिक तनाव कम करने का काम किया था। मोदी ने कहा था कि लोगों ने न्यायपालिका का सम्मान किया और तनाव नहीं पैदा होने दिया।
धर्मगुरुओं से की जा रही अपील
अयोध्या पर फ़ैसले से पहले उत्तर प्रदेश सहित देश भर में लोगों को समझाया जा रहा है कि फ़ैसला आने के बाद शांति व्यवस्था बनाये रखें। उत्तर प्रदेश के कई शहरों में प्रशासन की ओर से हिंदू-मुसलिम समुदाय के धर्मगुरुओं से यह अपील की जा रही है कि वे समाज में तनाव पैदा न होने दें। पुलिस प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है और सोशल मीडिया पर भी पैनी नज़र रखी जा रही है। यूपी पुलिस मुख्यालय ने भी सभी जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी अलर्ट रहने के निर्देश जारी कर दिए हैं।
पुलिस पूरी तरह चुस्त है और अयोध्या और अन्य जगहों पर ड्रोन के माध्यम से नज़र रख रही है। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि गड़बड़ी फैलाने वालों को चिन्हित किया जा रहा है। सभी जिलों में जिला प्रशासन यह अपील कर रहा है कि फ़ैसला चाहे जो हो लेकिन अमन, शांति कायम रहनी चाहिए।
नक़वी ने कहा, रखना होगा संयम
इस सिलसिले में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुख़्तार अब्बास नक़वी के घर पर मंगलवार को हिंदू और मुसलिम समुदाय के वरिष्ठ लोगों की बैठक हो चुकी है। बैठक में नक़वी ने सभी से फ़ैसले के बाद मुद्दे पर संयम बरतने की अपील की थी। इस बैठक में आरएसएस के सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल, बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज़ हुसैन, जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव महमूद मदनी भी मौजूद थे। ऑल इंडिया मुसलिम पर्सल लॉ बोर्ड के सदस्य कमाल फ़ारूक़ी, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीक़ी और शिया धर्मगुरु कल्बे जव्वाद ने भी इस बैठक में शिरकत की थी।
मौलाना सैयद कल्बे जव्वाद ने बैठक के बाद कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले का हम सभी को सम्मान करना चाहिए और हम सभी से शांति बनाए रखने की अपील करेंगे। अन्य धर्मगुरुओं ने कहा था कि लोगों से अपील की जायेगी कि अफवाहों और झूठी ख़बरों पर यकीन न किया जाए।
कुल मिलाकर पूरी कोशिश यही है कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फ़ैसला आये, सभी लोग उसका सम्मान करें और देश में अमन, भाईचारा बना रहे। दंगाइयों, समाज का माहौल ख़राब करने वालों और अफ़वाह फैलाने वालों से बचें।
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