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कानपुर हिंसा: पीएफआई ने कहा- हमारा कोई संबंध नहीं

कानपुर में हुई हिंसा के मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई ने बयान जारी किया है। पीएफआई ने कहा है कि इस हिंसा के आरोपियों से उसका कोई संबंध नहीं है।

बता दें कि इस मामले में कानपुर पुलिस पीएफआई के एंगल से भी जांच कर रही है। कानपुर हिंसा में अब तक 50 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है।

कानपुर में 3 जून को परेड बाजार बंद कराने को लेकर दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए थे और इस दौरान सांप्रदायिक हिंसा और पत्थरबाजी की घटना हुई थी। 

पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने कहा है कि पिछले कुछ सालों से देश में कहीं पर भी सांप्रदायिक हिंसा की घटना होती है तो पीएफआई का नाम हिंसा से जोड़ने की कोशिश की जाती है। 

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उन्होंने आज तक से बातचीत में कहा कि राजस्थान के करौली में और मध्य प्रदेश के खरगोन में हुई हिंसा में भी पीएफआई का नाम जोड़ने की कोशिश की गई लेकिन कुछ भी साबित नहीं हो सका।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में साल 2019 में जब सीएए और एनआरसी के खिलाफ आंदोलन चल रहा था तब भी पीएफआई का नाम इससे जोड़ने की कोशिश की गई थी लेकिन कुछ साबित नहीं हो सका था।

अनीस अहमद ने कहा कि इस सब के पीछे बीजेपी की साजिश है और आज तक लगाए गए आरोपों में कुछ भी साबित नहीं हुआ है और आगे भी कुछ साबित नहीं हो पाएगा।

कानपुर पुलिस के कमिश्नर विजय सिंह मीणा का कहना है कि जांच के दौरान पीएफआई से जुड़े हुए कुछ लिंक मिले हैं और इस मामले में जांच की जा रही है। कानपुर पुलिस ने कहा है कि वह इस मामले में आरोपियों का एक नया पोस्टर जारी करेगी।

क्या करता है पीएफआई?

पीएफआई का वर्तमान में 12 राज्यों में व्यापक संगठन है और 23 राज्यों में सक्रियता है। राजनीतिक तौर पर पीएफ़आई भोजन के अधिकार, बोलने के अधिकार की बात करता है। पीएफआई का दावा है कि वह मुसलिम कल्य़ाण के साथ-साथ मानवाधिकारों के लिए भी काम करता है। मगर दूसरी तरफ़ ख़ुफ़िया एजेंसियों का कहना है कि यह सिर्फ दिखावा है। 2020 में दिल्ली में हुए दंगों के मामले में पीएफआई का नाम आया था। उससे पहले सीएए के खिलाफ हुए आंदोलनों में भी पीएफआई का हाथ होने की बात उत्तर प्रदेश पुलिस ने कही थी।

पुलिस कानपुर हिंसा के मामले में सामने आए तमाम वीडियो को भी खंगाल रही है। पुलिस ने 40 आरोपियों की तस्वीर वाले पोस्टर भी कानपुर में चिपकाए हैं। इस मामले में स्थानीय प्रिंटिंग प्रेस के मालिक को भी गिरफ्तार किया गया है।

प्रिंटिंग प्रेस के मालिक ने कहा है कि उन्होंने हयात जफर हाशमी के कहने पर 20 पोस्टर छापे थे। पुलिस ने कहा है हयात जफर हाशमी इस हिंसा का मुख्य साजिशकर्ता है। 

हयात जफर हाशमी मौलाना मोहम्मद जफर अली फैंस एसोसिएशन का राष्ट्रीय अध्यक्ष है। हाशमी ने ही शुक्रवार को बाजार बंद कराने का आह्वान किया था। यह आह्वान बीजेपी प्रवक्ता नूपुर शर्मा के द्वारा पैगंबर मोहम्मद पर की गई एक टिप्पणी को लेकर किया गया था।

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हाशमी पर आरोप है कि उसने लोगों को भड़काया और इसके बाद पत्थरबाजी की घटना हुई और दो समुदायों के लोग आमने-सामने आ गए। इस दौरान हुए पथराव और बवाल में 30 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं जिनमें दारोगा और कुछ अन्य पुलिस कर्मचारी शामिल हैं। 

हाशमी नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी के खिलाफ कानपुर में हुए प्रदर्शनों में भी शामिल रहा था।

उधर, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने न्यूज़ एजेंसी एएनआई से कहा है कि कानपुर हिंसा में बवाल करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के अंदर अपराध करने वाले किसी भी शख्स को बख्शा नहीं जाएगा।

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क़मर वहीद नक़वी
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