loader

गोहत्या के अंदेशे में लिंचिंग की अनुमति नहींः सुप्रीम कोर्ट, बजरंग दल नेता को सरेंडर करने का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने स्याना (बुलंदशहर) में  2018 हिंसा के चर्चित आरोपी योगेश राज को 7 दिनों में सरेंडर करने का निर्देश दिया है, ताकि उसे जेल भेजा जा सके। इस हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कथित गोहत्या के अंदेशे में हम लिचिंग की अनुमति नहीं दे सकते।  योगेश राज और अन्य आरोपी दक्षिणपंथी संगठन बजरंग दल से जुड़े हुए हैं।

आरोपी योगेश राज को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिल गई थी। हाई कोर्ट के उस आदेश को इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की पत्नी रजनी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एम.एम. सुंदरेश ने कहा कि पहली ही नजर में यह मामला ऐसा है कि लो अपने हाथ में कानून को ले रहे हैं। गोहत्या के बहाने एक इंस्पेक्टर की हत्या गंभीर मामला है। आरोपियों पर 124 ए राजद्रोह के तहत केस दर्ज किया गया था। 

ताजा ख़बरें

इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह, गोहत्या के मामले में आई शिकायतों की जांच कर रहे थे। वो दादरी में भीड़ द्वारा मारे गए अखलाक की हत्या की जांच कर रहे थे। अखलाक के घर से बरामद मांस को उन्होंने ही लैब में जांच के लिए भिजवाया था। लैब की जांच में पाया गया कि अखलाक के घर में मिला मांस गोमांस नहीं था। इसके बाद सुबोध कुमार सिंह का तबादला स्याना (बुलंदशहर) कर दिया गया।3 दिसम्बर 2018 को अचानक एक गांव में कथित गोवंश के टुकड़े एक खेत में पड़े मिलते हैं। भीड़ स्याना पुलिस स्टेशन के सामने जमा हो जाती है। उग्र भाषण शुरू होते हैं। भीड़ हिंसा शुरू कर देती है और उसी दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की हत्या कर दी जाती है। इस केस में योगेश राज और अन्य पर भीड़ का नेतृत्व करने और उसे अवैध हथियारों, धारदार वस्तुओं और लाठियों से पुलिस पर हमला करने के लिए उकसाने का आरोप था। 

अदालत ने इस बात पर जोर दिया कि हर कोई जो इस तरह की गैरकानूनी भीड़ का हिस्सा है, उसे धारा 34 (सामान्य इरादे से कई व्यक्तियों द्वारा किए गए कार्य) या धारा 149 (किसी भी सदस्य द्वारा किया गया गैरकानूनी कार्य) के उचित आरोपों के तहत कार्रवाई और मुकदमे का सामना करना चाहिए।


आरोपी योगेश राज को सितंबर 2019 में जमानत मिली थी। उसके बाद उसका तमाम हिन्दू संगठन जगह-जगह सम्मान करने लगे। उसे हीरो के तौर पर पेश किया जाने लगा। उसने मई 2021 में जिला पंचायत सदस्य पद के लिए बुलंदशहर के वार्ड नंबर 5 से पंचायत चुनाव भी जीत लिया।योगेश राज के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, चार्जशीट में उसका नाम आरोपी के रूप में नहीं था, जिन्होंने सिंह को गोली मारी थी।इस पर अदालत ने कहा, “आपको वापस जेल जाना होगा। हम इन चीजों को आगे नहीं बढ़ने दे सकते। सुनवाई के दौरान, बेंच ने योगेश राज को दी गई जमानत को चुनौती नहीं देने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की खिंचाई भी की। इसी वजह से इंस्पेक्टर की पत्नी रजनी सिंह को सुप्रीम कोर्ट में आना पड़ा।

उत्तर प्रदेश से और खबरें

सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील से कहा, “यदि आप कहते हैं कि उसकी जमानत रद्द करनी है, तो आपने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील क्यों नहीं की? आप खुद कोई कदम नहीं उठाते, लेकिन अब आप आगे आकर कहते हैं कि आप याचिका का समर्थन कर रहे हैं।' अदालत ने राज्य सरकार के वकील के तर्क पर निराशा जताई, जब उसने कहा कि पुलिसकर्मी की विधवा को हाई कोर्ट के जमानत आदेश के खिलाफ अपील दायर करने की जल्दी थी।सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने टिप्पणी की, "यह आश्चर्यजनक है कि एक शिकायतकर्ता इस मामले को ट्रैक कर रहा है, लेकिन एक राज्य ऐसा नहीं कर रहा है, और वह सिर्फ इंतजार करता रहता है।" घटना की एफआईआर में योगेश राज और स्थानीय बीजेपी नेता शिखर अग्रवाल सहित 53 अज्ञात लोगों के अलावा 27 लोगों के नाम हैं। इन पर हत्या, देशद्रोह, हत्या के प्रयास, दंगा और डकैती का आरोप लगाया गया है। योगेश राज 2 जनवरी, 2019 को गिरफ्तार होने से पहले लगभग एक महीने तक फरार रहा।

Lynching not allowed on suspicion of cow slaughter: Supreme Court orders UP Bajrang Dal leader to surrender - Satya Hindi

सितंबर 2019 में, उसे इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जमानत पर रिहा कर दिया, जिससे सिंह की पत्नी रजनी को आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख करने पर मजबूर होना पड़ा। रजनी सिंह की ओर से बहस करते हुए, जाने-माने सीनियर एडवोकेट संजय हेगड़े ने जमानत देने पर आपत्ति जताई। उन्होंने दलील दी कि इस तरह के आदेश का परिणाम केवल मॉब लिंचिंग और हिंसा का सहारा लेने वाले लोगों को प्रोत्साहित करना होगा।हेगड़े ने उसका आपराधिक इतिहास बताते हुए कहा कि योगेश राज, जो 2018 में बजरंग दल के बुलंदशहर इकाई का संयोजक था, एक प्रमुख आरोपी है जिसने भीड़ का नेतृत्व किया और उसे सिंह पर हमला करने के लिए उकसाया। राज्य से जवाब मांगे जाने पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने रजनी की याचिका का समर्थन किया और कहा कि योगेश राज की जमानत रद्द की जानी चाहिए। लेकिन कोर्ट ने मुख्य आरोपी की जमानत रद्द कराने के लिए अपनी तरफ से कार्रवाई नहीं करने पर राज्य सरकार पर नाराजगी जताई। सोमवार को सुनवाई के दौरान पीठ ने राज्य के वकील से कहा कि राज्य को रजनी की याचिका का समर्थन करने के बजाय अलग से विशेष अनुमति याचिका के जरिए अपील करनी चाहिए थी।

Lynching not allowed on suspicion of cow slaughter: Supreme Court orders UP Bajrang Dal leader to surrender - Satya Hindi

 एक अन्य पहलू जिस पर अदालत ने रोशनी डाली, वह था मामले में दायर चार्जशीट में सामान्य इरादे या गैरकानूनी रूप से जमा होने से संबंधित आरोपों का जिक्र न किया जाना। बेंच ने कहा, “दुर्भाग्य से, चार्जशीट में धारा 34 या 149 का कोई उल्लेख नहीं है। यदि उनमें से किसी एक के तहत आरोप नहीं लगाया जाता है, तो भीड़ में शामिल कई लोग मुकदमे से बच जाएंगे। इन धाराओं को जोड़ने के लिए इस पर राज्य सरकार के वकील ने जवाब दिया कि वह इस पहलू पर निर्देश लेंगे, और अगली सुनवाई पर बताएंगे। आरोप पत्र में उनका नाम आरोपी के रूप में नहीं था, जिन्होंने सिंह को गोली मारी थी।बेंच ने योगेश राज की जमानत रद्द करने का आदेश दिया और बुलंदशहर की निचली अदालत से मामले की स्थिति और सभी आरोपियों के खिलाफ आरोपों पर रिपोर्ट भेजने को कहा। अदालत तीन हफ्ते बाद मामले की सुनवाई करेगी।

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
क़मर वहीद नक़वी
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

उत्तर प्रदेश से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें