उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद में एक पुलिसकर्मी मनोज कुमार का खाने की थाली हाथ में लेकर रोते हुए वीडियो वायरल हुआ है। पुलिसकर्मी का कहना है कि 12-12 घंटे ड्यूटी करने के बाद भी ढंग का खाना नहीं मिलता है। पुलिसकर्मी ने कहा है कि हमें ऐसा खाना परोसा जा रहा है जिसे जानवर भी नहीं खा सकता। इस दौरान वहां मौजूद लोगों ने इसका वीडियो बना लिया।
मनोज कुमार ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार से पूछा है कि क्या पुलिस के जवानों को इसी तरह का पौष्टिक आहार मिलना चाहिए। मनोज कुमार खाने की थाली को लेकर सड़क पर बने डिवाइडर पर आ जाता है और वहां भी लोगों को अपनी परेशानी बताता है।
मनोज कुमार रोते हुए कहता है कि जब पेट में रोटी नहीं जाएगी तो सिपाही अपनी ड्यूटी कैसे करेंगे। इस दौरान कुछ पुलिसकर्मी उसे समझाने की कोशिश करते हैं। पुलिसकर्मी कहता है कि यहां कोई उनकी बात सुनने वाला नहीं है और सब लोग दबाव बनाते हैं। मनोज कुमार आरक्षी के पद पर तैनात है।
सिपाही का कहना था कि उसे यह बात लोगों को बताने पर बर्खास्त करने की धमकी दी जा रही है। थोड़ी देर में कुछ पुलिस कर्मी पुलिस की एक जीप में डालकर मनोज कुमार को वहां से ले गए।
फिरोजाबाद पुलिस का बयान
वीडियो वायरल होने के बाद फिरोजाबाद पुलिस ने कहा है कि मेस के खाने की गुणवत्ता से संबंधित शिकायती प्रकरण में खाने की गुणवत्ता संबंधी जांच सीओ सिटी कर रहे हैं। शिकायतकर्ता सिपाही को आदतन अनुशासनहीनता, गैरहाजिरी और लापरवाही के मामलों में पिछले कुछ सालों में 15 बार सजा दी गई है। लेकिन विपक्षी दल आम आदमी पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई ने इसे लेकर योगी सरकार पर हमला बोला है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि आदित्यनाथ जी देखिए इस वीडियो को और शर्म कीजिए अपनी सरकार पर जो सिपाहियों को अच्छा खाना तक नहीं दे पा रही है।
फिरोजाबाद मुख्यालय में तैनात UP पुलिस के सिपाही ने रो रोकर योगी सरकार में सिपाहियों की हालत बताई 👇
— Aam Aadmi Party- Uttar Pradesh (@AAPUttarPradesh) August 10, 2022
"सरकार हमसे 12-12 घंटे काम कराती है और बदले में ऐसा खाना देती है"
आदित्यनाथ जी देखिए इस वीडियो को शर्म कीजिए अपनी सरकार पर जो सिपाहियों के लिए अच्छा खाना तक नहीं दे पा रही है..! pic.twitter.com/fhqTUS5rPZ
2019 की रिपोर्ट
सिपाही का जो वीडियो सामने आया है वह बताता है कि हमारी सुरक्षा के लिए दिन-रात मुस्तैद रहने वाले पुलिसकर्मियों को किस तरह का खाना मिल रहा है। इस बारे में साल 2019 में आई सेंटर फॉर स्टडी ऑफ़ डेवलपिंग सोसाइटीज के द्वारा एक स्वयंसेवी संस्था कॉमन कॉज के साथ मिलकर तैयार की गई रिपोर्ट का जिक्र किया जाना जरूरी है। इस रिपोर्ट का शीर्षक था- स्टेटस ऑफ़ पुलिसिंग इन इंडिया रिपोर्ट 2019।
इस रिपोर्ट से देश में पुलिस की स्थिति, संसाधनों के अभाव में पुलिस की कार्यप्रणाली और पुरुष और महिला पुलिसकर्मियों में भेदभाव सहित कई चीजों का पता चलता है।
रिपोर्ट के मुताबिक, चार में से तीन पुलिसकर्मियों को लगता है कि वर्क लोड की वजह से उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
रिपोर्ट से यह बात भी सामने आई थी कि 37 फीसदी पुलिसकर्मी समान वेतन और भत्ता मिलने पर यह नौकरी छोड़कर अन्य नौकरी करने के इच्छुक हैं। 12 फ़ीसदी पुलिसकर्मियों का कहना था कि पुलिस थानों में पीने के लिए साफ पानी नहीं है जबकि 18 फ़ीसद का कहना था कि थानों में साफ शौचालयों की व्यवस्था भी नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 22 राज्यों के 70 पुलिस थानों में वायरलेस डिवाइस नहीं है और 214 पुलिस स्टेशन में टेलीफोन नहीं है जबकि 24 पुलिस थानों में न तो वायरलेस डिवाइस है और न ही टेलीफोन। रिपोर्ट के मुताबिक 22 राज्यों के लगभग 240 पुलिस थानों में सरकारी वाहन नहीं है।
इस रिपोर्ट से सामने आया था कि देश में पुलिसकर्मी किस तरह के हालात में काम कर रहे हैं।
तेज बहादुर यादव का मामला
यहां पर बीएसएफ के एक पूर्व जवान तेज बहादुर यादव का जिक्र करना जरूरी होगा। साल 2019 में तेज बहादुर यादव ने ड्यूटी पर रहते हुए एक वीडियो जारी किया था जिसमें उसने बताया था कि उसे जो दाल मिली है वह पानी है और इसमें मसालों के नाम पर सिर्फ हल्दी है और रोटियों की गुणवत्ता भी बहुत खराब है। वीडियो वायरल होने के बाद सेना ने इस मामले की जांच की थी और यादव को बीएसएफ से बाहर कर दिया गया था। तेज बहादुर यादव ने 2019 में वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था लेकिन उनका नामांकन रद्द कर दिया गया था।
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