लेकिन सत्यमेव की जीत नहीं हुई, उसकी हत्या हो गई। आज़मगढ़ के बांसगाँव के इस दलित ग्राम प्रधान की हत्या कथित रूप से सवर्णों ने कर दी।
लेकिन क्यों?
सत्यमेव जयते की हत्या क्या इसलिए कर दी गई कि वह दलित थे? क्या एक पढ़ा लिखा दलित ग्राम-प्रधान कुछ लोगों को खटक रहा था? क्या उनकी हत्या इसलिए की गई ताकि दलितों के मन में में ख़ौफ़ पैदा किया जा सके?
परिजनों का आरोप
मृतक के परिजनों का यही आरोप है।
बता दें कि दलित-बहुल इस गाँव में शुक्रवार को ग्राम प्रधान को सवर्णों ने कथित रूप से गोली मार कर हत्या कर दी।
लिंकन ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि सूर्यांश कुमार दुबे सत्यमेव पर यह दबाव बना रहे थे कि वह उसे यह प्रमाणपत्र दें कि वह गाँव में रहते थे। दुबे तीन बार सत्यमेव के पास आए। मृतक सत्यमेव के भतीजे लिंकन ने कहा,
'ठाकुरों को इस बात पर गुस्सा आता था कि कोई दलित उनके सामने सिर उठा कर खड़ा है। सत्यमेव की हत्या इसलिए कर दी गई ताकि दलितों को उनकी औकात बताई जा सके।'
माँ को गालियाँ दीं
लिंकन के मुताबिक़, 'अभियुक्त हत्या के बाद सत्यमेव की माँ के पास गए, उन्हें जातिसूचक गालियाँ दीं और कहा कि उन लोगों ने सत्यमेव की हत्या कर दी है, वह जाएं और खुद देख लें।'दलित का संपन्न होना बर्दाश्त नहीं?
इस हत्याकांड में ज़मीन का मामला भी जुड़ा हुआ है। गाँव के गप्पू नामक व्यक्ति ने अपने निजी तालाब के लिए सार्वजनिक रास्ते की ज़मीन को हड़प लिया, इस पर समझौता होने के बावजूद उसने वह ज़मीन नहीं छोड़ी। इस वजह से भी पहले से ही तनाव चल रहा था।रामू राम ने कहा कि गाँव के कई दलितों ने पढ़-लिख लिया है, वे शहरों में रहते हैं, अच्छा पैसा कमाते हैं। इससे गाँव के सवर्णों का गुस्सा और असंतोष बढ़ा हुआ है। रामू राम स्वयं अंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया में काम करते हैं और कोलकाता में रहते हैं।
हत्या के बाद तनाव
सत्यमेव की कथित हत्या के बाद गाँव के लोगों में गुस्सा फैल गया। वे विरोध प्रदर्शन करने लगे, पुलिस पहुँची, उसने लाठीचार्ज किया। सूरज नाम के एक आठ साल के बच्चे की मौत कथित रूप से गाड़ी से कुचल कर हो गई।कर्नाटक
दलित उत्पीड़न की घटना देश के अलग-अलग हिस्सों में होती रहती है और वहां से इस तरह की ख़बरे लगभग हर समय आती ही रहती हैं। कर्नाटक में हुई एक वारदात में एक सवर्ण की मोटर साइकिल छू लेने के कारण एक दलित को कथित तौर पर नंगा कर बुरी तरह पीटा गया। उसके परिवार वालों को भी नहीं बख्शा गया और उन्हें भी बुरी तरह मारा-पीटा गया।
राजधानी बेंगलुरू से क़रीब 530 किलोमीटर दूर विजयपुर ज़िले की यह घटना है। एक वीडियो में साफ़ देखा जा सकता है कि कुछ लोगों ने एक व्यक्ति को नंगा कर ज़मीन पर लिटा दिया है और उसे लाठियों व जूतों से बुरी तरह पीट रहे हैं।
कर्नाटक के चित्रदुर्ग से बीजेपी के एक दलित सांसद को एक गाँव में वहाँ के लोगों ने आने ही नहीं दिया। सांसद का नाम ए. नारायणस्वामी है।
सांसद सांसद तुमाकुरु ज़िले के पावागड़ा इलाक़े के परामलहल्ली गाँव में जा रहे थे तभी इस गाँव के पिछड़ी जाति के लोगों ने उन्हें गांव में आने से रोक दिया। इस गाँव में काडू गोला जनजाति के लोग रहते हैं। जब यह घटना हुई तो सांसद अपने साथियों के साथ गाँव में विकास कार्यों का जायजा लेने के लिए जा रहे थे।
महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के पुणे में दलित समाज के एक युवक की बेरहमी से हत्या कर दी गई। युवक का कसूर सिर्फ़ इतना था कि वह सवर्ण जाति की एक युवती से प्यार करता था। युवक का नाम विराज विलास जगताप था और उसकी उम्र 20 साल थी।
‘इंडिया टुडे’ के मुताबिक़, विराज ने मौत से पहले दिए अपने अंतिम बयान में उसके साथ हुई क्रूरता को बताया है। बयान में विराज ने कहा था कि वह अपनी मोटरसाइकिल से जा रहा था, तभी युवती के रिश्तेदारों ने एक ऑटो से उसे टक्कर मार दी। विराज ने कहा था कि उसके नीचे गिरने के बाद, अभियुक्त आए और उस पर रॉड और पत्थरों से हमला कर दिया।
गुजरात
गुजरात के बनासकांठा में एक दलित सैनिक को शादी में घोड़ी चढ़ने से रोक दिया गया, बाद में पुलिस हस्तक्षेप के बाद वह बारात लेकर जा सका। पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि इस मामले में एफ़आईआर दर्ज कर लिया गया है, स्थिति नियंत्रण में है।
संदीपद गाँव के आकाश कोटडिया की शादी थी, वह सेना में है और जम्मू-कश्मीर में तैनात है। जब वह बारात लेकर निकला, गाँव के दबंग सवर्णों ने उसे घोड़ी चढ़ने से रोका। इसके बाद बारात पर पथराव किया गया।
मध्य प्रदेश
मध्य प्रदेश के शिवपुरी में दो दलित बच्चों को खुले में शौच करने की वजह से पीट-पीट कर मार डाला गया। यह वारदात भावकेडी गाँव की है। पुलिस ने 12 साल की उम्र के इन दो बच्चों की पहचान रोशनी और अविनाश के रूप में की है। ये बच्चे पंचायत भवन के सामने ही खुले में शौच कर रहे थे। इस पर कुछ लोगों ने उन्हें पकड़ कर बुरी तरह पीटा। बाद में उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, जहाँ डॉक्टरों ने कहा कि उन्हें मृत घोषित कर दिया।
उत्तर प्रदेश
हरदोई में 20 साल के युवक को कुछ दंबंगों ने जिंदा जला दिया। बताया जा रहा है कि उसके दूसरी जाति की महिला के साथ संबंध थे। इस घटना का सबसे दुखद पहलू यह है कि बेटे की मौत के सदमे में युवक की मां की भी मौत हो गई है।
कुछ समय पहले उत्तर प्रदेश के ही जौनपुर में भी दलित समुदाय के लोगों के साथ ऐसी ही बर्बर घटना हुई थी। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था जिसमें दलित समुदाय के तीन लोगों को नंगा कर पीटते हुए देखा गया था। इन पर चोरी की कोशिश करने का आरोप लगाया गया था।
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