बसपा सुप्रीमो मायावती ने अब साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी बहुजन समाज पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ेगी।
इसके साथ ही उन्होंने खुद के राजनैतिक संन्यास की खबर को ग़लत बताया है। उन्होंने कहा है कि उनके सन्यास की खबर में कोई सच्चाई नहीं है।
उन्होंने अपने 68 वें जन्मदिन के अवसर पर ये बातें कहीं हैं। उनके जन्मदिन को लेकर अटकलें लगाई जा रही थी कि वह इस अवसर पर कोई बड़ी घोषणा करेंगी। कई दिनों से चर्चा थी कि बसपा क्या इंडिया गठबंधन में शामिल होगी।
अब उनकी इन घोषणाओं के साथ ही साफ हो गया है कि बसपा उत्तर प्रदेश में अकेले ही लोकसभा चुनाव लड़ेगी। माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन के लिए उनका अकेले चुनाव लड़ने का फैसला नुकसानदायक हो सकता है।
अपने 68वें जन्मदिन पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा कि 2024 का चुनाव बसपा अकेले ही लड़ेगी। किसी गठबंधन या पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी।
उनकी इस घोषणा के साथ ही बसपा के इंडिया गठबंधन में शामिल होने की कयासबाजी पर विराम लग गया है। उन्होंने इस अवसर पर कहा कि गठबंधन से फायदा कम, नुकसान ज्यादा होता है।
अपने जन्मदिन के अवसर पर लखनऊ में पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा, कि 'मुझे राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का निमंत्रण मिला है। मैंने इस पर अभी कोई फैसला नहीं लिया है।
उन्होंने बताया कि अभी मैं अपनी पार्टी के काम में व्यस्त हूं, लेकिन अयोध्या में 22 जनवरी को जो कार्यक्रम हो रहा है, हम उसका स्वागत करते हैं।
मायावती ने कहा कि आगे चलकर अगर बाबरी मस्जिद को लेकर भी ऐसा कोई कार्यक्रम होता है, तो उसका भी हम स्वागत करेंगे। उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी धर्मनिरपेक्ष है, हम सभी धर्मों का सम्मान करते हैं।
अपने सन्यास लेने की अटकलों पर उन्होंने कहा कि मैंने पिछले महीने अपने भतीजे आकाश आनंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इसके बाद से ही मीडिया में इस तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं उन्होंने कहा कि इस पर मैं बताना चाहती हूं कि इन इन अटकलों में रत्ती भर भी सच्चाई नहीं है।
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सरकार धर्म और जाति के नाम पर राजनीति कर रही
इस अवसर पर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने केंद्र सरकार और उत्तर प्रदेश सरकार पर जमकार निशाना साधा। उन्होंने कहा कि केंद्र और प्रदेश की सरकार धर्म और जाति के नाम पर राजनीति कर रही है।उन्होंने कहा कि कांग्रेस, भाजपा और उसकी सहयोगी पार्टियों की सोच जातिवादी, सामंतवादी है। इस जातिवादी संकीर्ण सोच से आम जनता को कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है।
लोगों को थोड़ा राशन देकर गुलाम और मोहताज बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि बहुजन समाज के सभी वर्गों को बीएसपी से जोड़ कर सत्ता तक पहुंचाना जरूरी है। मायावती ने आरोप लगाया कि विरोधी पार्टियां एकजुट होकर इनके अधिकारों को रोक रही हैं।
मीडिया से बात करते हुए मायावती ने सपा और उसके नेता अखिलेश यादव पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन को लेकर सपा सुप्रीमों ने बहुजन समाज पार्टी के लिए गिरगिट की तरह रंग बदला है।
इस दौरान उन्होंने इवीएम को लेकर भी अपनी बातें रखी। उन्होंने कहा कि इवीएम को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अगर इवीएम में कोई गड़बड़ी नहीं हुई तो बेहतर रिजल्ट लाएंगे। 2007 के चुनाव में इवीएम में कोई धांधली नहीं हुई थी।
उस वर्ष अकेले चुनाव लड़कर बसपा ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। मायावती ने आरोप लगाया कि अब इवीएम में काफी धांधली हो रही है। यही कारण है कि इवीएम के विरोध में काफी आवाजें उठ रही हैं।
मीडिया से उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव को बसपा पूरी मेहनत से और अकेले लड़ेगी।उन्होंने कहा कि बसपा से कई पार्टियां गठबंधन करना चाहती हैं लेकिन हम सभी पार्टियों से दूरी बनाकर चुनाव लड़ेंगे। गठबंधन करने पर बसपा को फायदे से ज्यादा नुकसान ही होता है। बसपा का वोट दूसरी पार्टियों को तो मिल जाता है लेकिन दूसरी पार्टियों का वोट बसपा को नहीं मिल पाता है।
इस दौरान उन्होंने चुनाव के बाद किसी तरह के गठबंधन में शामिल होने से इंकार नहीं किया है। राजनैतिक विश्लेषकों का मानना है कि बसपा चुनाव के बाद किसी गठबंधन में शामिल भी सकती है लेकिन फिलहाल तो वह अकेले ही लोकसभा का चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी को इस बात का एहसास हो गया है कि गठबंधन में चुनाव लड़ कर उसे रणनीतिक तौर पर कोई फायदा नहीं होगा।
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