उत्तर प्रदेश में अचानक से पिछड़े नहीं ब्राह्मण मतदाता राजनीति की धुरी बन गए हैं। वर्णवादी व्यवस्था की इस सबसे अगड़ी जाति के वोटों की अरसे तक स्वाभाविक दावेदार रही कांग्रेस और हाल-फिलहाल में इसका साथ पाकर सत्ता की सीढ़ियां चढ़ती रही बीजेपी या फिर दलित-ब्राह्मण गठजोड़ से उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री की कुर्सी पा चुकी बीएसपी तो इन्हें रिझाने में लगी ही है। अब एसपी भी इस मैदान में कूद पड़ी है। भगवान परशुराम की जयंती पर अवकाश घोषित करने के अपने फ़ैसले को याद करते हुए पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने अब इनकी मूर्ति लगवाने की मुहिम शुरू कर दी है।
यूपी: सभी दलों के लिए पूज्य हो गए ब्राह्मण, रिझाने की हर संभव कोशिश
- उत्तर प्रदेश
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- 8 Aug, 2020

ब्राह्मण मतों के सहयोग से सत्ता का सुख प्राप्त कर चुके सभी दल अब इस समुदाय को रिझाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।
दरअसल, कानपुर के बिकरू कांड के मास्टरमाइंड विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद उपजी प्रतिक्रियाओं में विपक्ष को ब्राह्मण वोट साधने की संभावना दिखने लगी है। 22 करोड़ से ज्यादा की आबादी वाले उत्तर प्रदेश में करीब 11 प्रतिशत ब्राह्मण हैं। ब्राह्मण मतों के सहयोग से सत्ता का सुख प्राप्त कर चुके सभी दल अब इस समुदाय को रिझाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे हैं।