बाबरी मसजिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में ताबड़तोड़ सुनावई तो चल ही रही है, इसी बीच हिन्दू और मुसलिम पक्षों के बीच सुलह की कोशिशें भी अपने स्तर पर जारी हैं। देश भर के तमाम मुसलिम बुद्धिजीवियों ने पूरे विवाद के न्यायालय से इतर निपटारे की वकालत की। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मसजिद के हक में भी फ़ैसला देता है तो मुल्क के अमन के लिए मुसलिमों को इस ज़मीन पर से दावा छोड़ देना चाहिए। मुसलिम बुद्धिजीवी ‘इंडियन मुसलिम फ़ॉर पीस’ के तहत जुटे थे। इस फ़ोरम में उलेमा शामिल नही हैं और उन्होंने बुलावे के बाद भी इसकी बैठक में शामिल होने से इंकार किया।
अयोध्या: ‘पक्ष में फ़ैसला आए तो भी मुसलमान हिंदुओं को दे दें ज़मीन’
- उत्तर प्रदेश
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- 11 Oct, 2019
मुसलिम बुद्धिजीवियों ने क्यों कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मसजिद के हक में भी फ़ैसला देता है तो मुसलिमों को इस ज़मीन पर से दावा छोड़ देना चाहिए?

लखनऊ में इंडियन मुसलिम फ़ॉर पीस के सम्मेलन में अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति लेफ़्टिनेंट जनरल जमीरउद्दीन शाह ने कहा कि बाबरी मसजिद मामले में सुप्रीम कोर्ट को साफ़-साफ़ फ़ैसला देना चाहिए, पेशबंदी वाला फ़ैसला बिल्कुल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला बीच का न होकर साफ़ हो। या तो ज़मीन राम मंदिर को मिले या दूसरे दावेदार सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड को दी जाए। उन्होंने कहा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मुसलमानों के हक़ में फ़ैसला देता है तो मुसलमानों को चाहिये कि वे इस ज़मीन को हिंदुओं को अपनी मर्ज़ी से दे दें। शाह ने कहा कि लड़ाई-झगड़े और फसाद से बचने के लिए आपसी सहमति से ज़मीन हिंदुओं को दे देनी चाहिए।