चंद्रशेखर अब आज़ाद होकर चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं। वह अखिलेश यादव को धोखेबाज कह रहे हैं। महत्वपूर्ण सवाल है कि बगैर कुछ किए ही अखिलेश यादव धोखेबाज कैसे हो गये? चंद्रशेखर आजाद यह भी कह रहे हैं कि अखिलेश यादव को दलितों को साथ लेकर चलना ही नहीं है। वे ऐसा चाहते ही नहीं हैं। यह वही भाषा है जो अखिलेश के लिए बीजेपी बोलना चाहती है। सवाल यह है कि क्या अखिलेश बीजेपी के बुने जाल में फंस गये हैं?
चंद्रशेखर को ‘आज़ाद’ कर बीजेपी के बुने जाल में फंस गये अखिलेश!
- उत्तर प्रदेश
- |
- |
- 19 Jan, 2022

अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और चंद्रशेखर आज़ाद रावण की पार्टी भीम आर्मी के बीच गठबंधन नहीं होने के लिए कौन ज़िम्मेदार और इसके पीछे कौन सी ताक़त है?
जो भूल अखिलेश यादव से हुई है वह भूल मायावती ने नहीं की। मायावती ने कभी यह अवसर ही आने नहीं दिया कि चंद्रशेखर आजाद उनके साथ राजनीतिक मोल-तोल कर पाते। चंद्रशेखर बहुत पहले से मायावती की सरपरस्ती में राजनीति करने को भी तैयार दिखे थे, लेकिन मायावती ने चंद्रशेखर की सियासत को बहुत पहले भांप लिया था। नज़दीक आने ही नहीं दिया तो दूर जाते कैसे? धोखा देने का आरोप लगाने तक का अवसर मायावती ने नहीं दिया।