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अग्निपथ: बलिया में रेलवे स्टेशन में घुसी भीड़, ट्रेनों में तोड़फोड़

अग्निपथ योजना का विरोध कर रहे प्रदर्शनकारी कई जगहों पर उपद्रव पर उतर आए हैं। ऐसे उपद्रवी तत्वों ने ट्रेनों में और बसों में तोड़फोड़ करने के अलावा आगजनी की घटनाओं को भी अंजाम दिया है। कई जगहों पर लूटपाट भी की गई है।

उत्तर प्रदेश के बलिया से एक वीडियो सामने आया है जिसमें दिख रहा है कि बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और उन्होंने वहां सरकारी संपत्ति को तोड़ना शुरू कर दिया। 

उन्होंने वहां खड़ी ट्रेन के शीशे तोड़ दिए और आसपास लगे खाने-पीने की चीजों के स्टॉल को जमकर नुकसान पहुंचाया। भीड़ में शामिल लोगों के हाथों में लाठी-डंडे भी थे और वे सभी चीजों को तोड़ने पर आमादा थे। उन्होंने स्टेशन पर खड़ी ट्रेनों में जबरदस्त पथराव किया और गाड़ी के सभी शीशों को चकनाचूर कर दिया। इस दौरान वहां पुलिसकर्मी भी मौजूद थे लेकिन भारी भीड़ के बीच वे कुछ नहीं कर सके। 

Agnipath recruitment scheme Violent Protest in  Ballia  - Satya Hindi

शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बुनियादी हक़ की आड़ में हो रहे इस तरह के हिंसक प्रदर्शन निश्चित रूप से खतरनाक हैं।

कई ट्रेनें रद्द

दूसरी ओर, बिहार में अग्निपथ योजना के विरोध में लगातार हिंसक प्रदर्शन जारी हैं और कई जगहों पर प्रदर्शनकारियों ने ट्रेनों की बोगियों में आग लगा दी है। इस वजह से कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है और बड़ी संख्या में ट्रेनों को डायवर्ट करना पड़ा है। ट्रेनों में तोड़फोड़ की भी घटना हुई है।

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तेलंगाना में सिकंदराबाद रेलवे स्टेशन पर तोड़फोड़ और विरोध कर रहे प्रदर्शनकारियों ने एक ट्रेन को आग के हवाले कर दिया। आंदोलनकारियों ने रेलवे स्टेशन पर स्टॉलों में तोड़फोड़ भी की है। 

गुरूवार को भी बिहार के 8 जिलों में प्रदर्शनकारी सड़क पर उतर आए थे और उन्होंने उग्र प्रदर्शन किया था। जहानाबाद, बक्सर, मुंगेर, सहरसा, आरा और नवादा में जोरदार प्रदर्शन हुआ था। कैमूर और छपरा में छात्रों ने एक ट्रेन में आग लगा दी थी। कई जगहों पर बसों के शीशे तोड़ दिए गए थे। 

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उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद, अलीगढ़, बुलंदशहर, गाजीपुर, बलिया, आगरा सहित कई जगहों पर जोरदार प्रदर्शन हो रहा है।

प्रदर्शनकारी छात्रों का कहना है कि अग्निपथ योजना के तहत सेना में भर्ती होने के 4 साल बाद जो नौजवान बाहर निकलेंगे, उनके पास कोई विकल्प नहीं होगा। अग्निपथ योजना के तहत चयन होने के 4 साल के बाद केवल 25 फीसद जवान ही आर्म्ड फोर्सेस में वापस आ सकेंगे जबकि बाकी लोग सेवाओं से बाहर हो जाएंगे। उन्हें किसी तरह की पेंशन की सुविधा का फायदा भी नहीं मिलेगा। 

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क़मर वहीद नक़वी
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