हरिद्वार के 'अधर्म संसद' में न केवल 20 करोड़ मुसलमान निशाने पर थे, बल्कि संविधान ख़त्म करने की प्रतिज्ञा भी ली गयी I तथाकथित संतों और बीजेपी नेताओं ने संकल्प लिया कि संविधान ख़त्म करके ही दम लेंगेI 20 करोड़ मुसलमानों को ख़त्म करने की बात विवादों में आ गयी लेकिन संविधान ख़त्म करने की बात पर चर्चा आगे नहीं बढ़ सकी I
आरएसएस के पितामह गुरु गोलवलकर ने राजनीतिक सम्प्रभुता को मान्यता नहीं दी थी और वे चाहते थे कि सांस्कृतिक सम्प्रभुता से देश चले। संविधान से देश चलता है तो प्रत्येक व्यक्ति के वोट का मूल्य बराबर होता है जो कथित सनातनियों को मंजूर नहीं, जब संविधान बनकर तैयार हुआ तो इसका विरोध संघ ने किया था, यह कहते हुए कि इसमें हिन्दू संस्कृति के लिए स्थान नहीं हैI 11 दिसम्बर 1949 को आरएसएस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में सम्मेलन किया और सारे वक्ता संविधान और डा. आम्बेडकर की आलोचना करते रहे और दूसरे दिन मार्च निकाला तथा नेहरू जी और डा. आम्बेडकर का पुतला जलाया।
आरएसएस के निशाने पर सिर्फ मुसलमान नहीं, संविधान और आरक्षण भी
- विचार
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- 4 Jan, 2022
इस ऐतिहासिक तथ्य को इतिहास के पन्नों से कैसे हटाया जा सकता है कि 11 दिसम्बर 1949 को आरएसएस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में सम्मेलन किया था और सारे वक्ता संविधान और डा. आम्बेडकर की आलोचना करते रहे और दूसरे दिन मार्च निकाला गया। उसमें नेहरू जी और डा. आम्बेडकर का पुतला जलाया गया।
