अजमेर की एक अदालत ने बुधवार (27 नवंबर) को हिंदू सेना की एक याचिका स्वीकार कर ली, जिसमें दावा किया गया है कि प्रतिष्ठित अजमेर शरीफ दरगाह के नीचे एक शिव मंदिर है, और इसका पता लगाने के लिए सर्वे किया जाना चाहिए। ऐसे ही सर्वे की मांग संभल की शाही मस्जिद को लेकर की गई थी। ऐसे ही सर्वे की मांग बनारस की ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर की गई थी। मथुरा को लेकर भी ऐसी ही मांग है। लेकिन यहां बात अजमेर शरीफ दरगाह की हो रही है।
अजमेर शरीफ विवादः भारत में सूफीवाद को फैलाने वाले ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती कौन थे?
- इतिहास का सच
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- 30 Nov, 2024
सैकड़ों साल पुरानी अजमेर शरीफ दरगाह को भी मंदिर बताने के विवाद में अदालत में घसीट लिया गया है। यहां भी दावा ठीक संभल, बनारस, मथुरा विवादों के पैटर्न पर किया गया है। अजमेर शरीफ दरगाह पर हिन्दू-मुसलमान दोनों जाते हैं। भारत के हर प्रधानमंत्री की ओर से यहां उर्स के मौके पर चादर भेजी जाती है। भारत में सूफीवाद को फैलाने वाले महान संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती कौन थे, जानिएः
