त्रिपुरा में एक मसजिद पर कथित हमले और तोड़फोड़ की ख़बर कवर करने वाली दो महिला पत्रकारों को ज़मानत मिल गई है। उन्हें त्रिपुरा के गोमती ज़िला स्थित उदयपुर सब डिवीज़न अदालत में पेश किया गया, जहाँ से उन्हें ज़मानत मिली।
एचडब्लू न्यूज़ नेटवर्क के लिए काम कर रही समृद्धि सकुनिया और स्वर्णा झा को नीलम बाज़ार में गिरफ़्तार किया गया था। वे उस समय धर्मनगर से सिलचर जा रही थीं।
इन महिला पत्रकारों ने कहा था कि उन्होंने त्रिपुरा में धार्मिक उन्माद में आकर अराधना स्थल की तोडफोड़ से जुड़ी ख़बरों को कवर करने के सिलसिले में कई जगहों का दौरा किया था।
त्रिपुरा पुलिस के महानिदेशक एस. वी. यादव ने एक प्रेस बयान में कहा है कि समृद्धि सकुनिया के ट्विटर पोस्ट से दो समुदायों के बीच नफ़रत फैली है। उन्होंने तथ्यों को दबाने और ग़लत जानकारी देने के आरोप भी लगाए।
त्रिपुरा पुलिस के प्रमुख ने कहा,
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एक ट्विटर पोस्ट में समृद्धि सकुनिया ने रहमत अली के घर पर एक अध-जले प्रार्थना कक्ष का वीडियो अपलोड किया, जहाँ कुछ समाजविरोधी तत्वों ने तोड़फोड़ की थी।
एस. वी. यादव, महानिदेशक, त्रिपुरा पुलिस
त्रिपुरा पुलिस का दावा
बयान में यह भी कहा गया कि पवित्र कुरान की प्रति जलाई गई। लेकिन जाँच से पता चला कि यह सच के उलट है, जाँच के दौरान जाँच अधिकारी के सामने कोई जली हुई किताब या दस्तावेज़ पेश नहीं किया गया, आग लगी थी, जिसे पहले ही बुझा दिया गया था।
बयान में कहा गया है कि 27 अक्टूबर को दिल्ली से गई एक टीम ने भी एक संदिग्ध फोटोग्राफ़ के आधार पर इसी तरह का दावा किया था।
त्रिपुरा पुलिस के प्रमुख ने बयान में दावा किया कि महाराष्ट्र के अमरावती और दूसरे हिस्सों में सांप्रदायिक तनाव के मद्देनज़र यह साफ हो जाता है कि त्रिपुरा में सांप्रदायिक वारदात कराने की साजिश रची गई।
क्या है मामला?
बता दें कि विश्व हिन्दू परिषद ने बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों और दुर्गा पूजा के पंडालों पर हुए हमलों के विरोध में 26 अक्टूबर त्रिपुरा के पानीसागर में एक रैली की थी।
इस रैली के दौरान दो समुदाय के लोगों में झगड़ा हुआ और इसके बाद मामला पुलिस में पहुंच गया।
अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि उनकी तीन दुकानों को जला दिया गया और तीन घरों में तोड़फोड़ की गई।
इसके अलावा एक मसजिद में भी तोड़फोड़, चोरी और महिलाओं के साथ अभद्रता करने का आरोप लगाया गया है।
क्या कहना है विहिप का?
दूसरी ओर से की गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि विहिप की रैली पर हमला किया गया। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि तमाम आरोपों की जाँच की जा रही है।
राज्य के सूचना मंत्री सुशांत चौधरी ने कहा है कि पुलिस की जाँच में पता चला है कि पानीसागर में किसी भी मसजिद में आग नहीं लगाई गई है। राज्य सरकार ने कहा है कि कुछ बाहरी लोगों ने अपने फ़ायदे के लिए सोशल मीडिया पर मसजिद जलाने के फर्जी फ़ोटो अपलोड किए।
त्रिपुरा पुलिस ने इन महिला पत्रकारों की रिपोर्ट के आधार पर ही काकराबन और फटिकराय में दो अलग-अलग एफ़आईआर दर्ज की थी।
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महाराष्ट्र में हिंसा
बता दें कि अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने त्रिपुरा में हुई हिंसा के खिलाफ़ शुक्रवार को महाराष्ट्र के अमरावती में प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन के दौरान बीजेपी के स्थानीय नेता प्रवीण पोते के घर पर पथराव किया गया, जिससे खिड़की के शीशे टूट गए। एक दूसरे जगह हुए पथराव में एक व्यक्ति घायल हो गया। इस प्रदर्शन में लगभग 25 हज़ार लोगों ने भाग लियाा था।
बीजेपी ने इसके जवाब में शनिवार को बंद रखा और विरोध प्रदर्शन किया। इसमें लगभग 6,000 लोगों ने भाग लिया। प्रदर्शनकारी राजकमल चौक पर एकत्रित हो गए।
पुलिस ने शुक्रवार के प्रदर्शन से जुड़े 15 और शनिवार के प्रदर्शन से जुड़े 11 मामले दर्ज किए हैं। इसके अलावा 60 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
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