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हेमंत सोरेन
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ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम के चुनाव 1 दिसंबर को हो रहे हैं और मेरी भविष्यवाणी यह है कि वर्तमान में केवल 150 में से 4 सीटें रखने वाली बीजेपी इन चुनावों में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी। हालाँकि यह केवल एक नगरपालिका चुनाव है। बीजेपी के कई दिग्गज और सितारे, अमित शाह, नड्डा, स्मृति ईरानी, योगी आदित्यनाथ, फड़नवीस, तेजस्वी सूर्या आदि को प्रचार अभियान में लगाया गया है और लगभग एक राष्ट्रीय चुनाव बना दिया है।
These pictures clearly indicates that the Lotus is all set to bloom in Greater Hyderabad Municipal Corporation (GHMC).
— Amit Shah (@AmitShah) November 29, 2020
గ్రేటర్ హైదరాబాద్ మునిసిపల్ కార్పొరేషన్ (జిహెచ్ఎంసి) ఎన్నికలలో కమలం వికసించబోతున్నట్లు ఈ చిత్రాలు స్పష్టంగా తెలియజేస్తున్నాయి. pic.twitter.com/otNgXA3zNO
2014 में केंद्र में बीजेपी के सत्ता में आने से पहले भी भारत में सांप्रदायिकता व्यापक रूप से फैली हुई थी, लेकिन कुछ हद तक इसे कांग्रेस और अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों द्वारा काबू में रखा गया था, इसलिए नहीं कि उन्हें मुसलमानों के लिए वास्तविक सहानुभूति थी, बल्कि इसलिए कि इन दलों की नज़र मुसलिम वोट बैंक पर थी। इसलिए 2014 से पहले हालाँकि सांप्रदायिकता हमेशा मौजूद थी और सांप्रदायिक घटनाएँ केवल छिटपुट थीं। 2014 के बाद हमारे समाज में व्यापक रूप से ध्रुवीकरण हुआ है, और सांप्रदायिकता और ज़्यादा खुली, विषैली और अविरल हो गई है।
एक उदाहरण है - पश्चिम बंगाल में जो कुछ हुआ। यह राज्य लम्बे समय तक धर्मनिरपेक्षता का गढ़ रहा। लेकिन अब वहाँ ध्रुवीकरण हो गया है। बीजेपी जो पहले लगभग मौजूद नहीं थी, आज राज्य में वह गहरे सेंध लगा रही है। ग्रेटर हैदराबाद में भी कुछ ऐसा ही होने की संभावना है।
ग्रेटर हैदराबाद नगर निगम यानी GHMC में 4 ज़िले शामिल हैं, और इसके क्षेत्र में 4 सांसद और 24 विधान सभा सीटें हैं। इसमें लगभग 18 लाख (1.8 मिलियन) मतदाता हैं, जिनमें से लगभग 4 लाख मुसलिम हैं, जो ज़्यादातर पुराने हैदराबाद शहर में हैं, जो AIMIM नेता ओवैसी का गढ़ है। मुसलमान ज़्यादातर AIMIM को वोट देंगे, लेकिन बाक़ी 14 लाख लोगों का क्या जो ज़्यादातर हिंदू हैं?
GHMC में 150 सीटें हैं, जिनमें से 2016 के चुनावों में केसीआर की टीआरएस को 99, AIMIM को 44, बीजेपी को 4 और कांग्रेस को 2 सीटें मिलीं। इसलिए ऐसा लगता है कि ज़्यादातर हिंदुओं ने टीआरएस को वोट दिया। लेकिन तब से स्थिति बदल गई है। 2018 के तेलंगाना राज्य विधानसभा चुनावों में बीजेपी को 119 सीटों में से केवल 1 मिली 7% वोट के साथI लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को राज्य में 19% मतों के साथ तेलंगाना में 17 लोकसभा सीटों में से 4 मिले। इस प्रकार केवल एक वर्ष में बीजेपी समर्थकों में बहुत बढ़ोतरी हुई है और ऐसा लगता है कि कई टीआरएस हिंदू समर्थक बीजेपी में चले गए हैं।
सांप्रदायिकता हमेशा हैदराबाद में मौजूद थी, लेकिन इस GHMC चुनाव ने इसे एक नए स्तर पर बढ़ा दिया है। बीजेपी के प्रचारकों ने ओवैसी को एक और जिन्ना कहा और भड़काऊ भाषण देते हुए 'इन पाकिस्तानियों और गंदे रोहिंग्याओं को बाहर निकालने' का आह्वान किया।
साथ ही, बिहार चुनाव में AIMIM के 5 उम्मीदवारों की जीत ने समाज में और अधिक ध्रुवीकृत कर दिया है।
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु के चुनाव अगले साल मई में होने वाले हैं, इसलिए बीजेपी ने आने वाले समय के लिए GHMC चुनाव को परीक्षण के रूप में इस्तेमाल किया है, और कहीं भी किसी तरह की कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
दिलचस्प समय आगे है। देखना यह होगा कि बीजेपी अपने मक़सद में कितना कामयाब होगी।
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