हरियाणा पुलिस द्वारा कई बाधाओं और रोकने के बावजूद, भारतीय संसद द्वारा हाल ही में पारित किए गए तीन किसान क़ानून के ख़िलाफ़ 'दिल्ली चलो' के नारे के साथ किसानों ने पंजाब से दिल्ली की ओर कूच किया। कुछ अन्य राज्यों के किसान भी आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
हठ करने पर किसानों का ही नुक़सान होगा!
- विचार
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- 2 Dec, 2020

मुझे भय है कि आंदोलनकारी किसानों की ओर से कठोर स्वभाव और हठी होना केवल हिंसा को ही जन्म देगा, जैसा कि जनवरी 1905 में सेंट पीटर्सबर्ग में ख़ूनी रविवार को हुआ था, या अक्टूबर 1795 में पेरिस में वेंडीमाइरे में, जहाँ नेपोलियन की तोपों से 'व्हिफ़ ऑफ़ ग्रेपशॉट' के द्वारा एक बड़ी भीड़ को तितर-बितर कर दिया गयाI इसलिये मेरा मानना है कि 3 दिसंबर को किसान खुले दिमाग़ से सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें।
1 दिसंबर को किसानों और सरकार के बीच बातचीत हुई। जिसका कोई नतीजा नहीं निकला। अब अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होगी। किसान इस बात पर अड़े हैं कि सरकार तीनों क़ानूनों को वापस ले।