तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि
के खिलाफ चेन्नई में तानाशाह रवि और आरएन रवि वापस जाओ के पोस्टर लगे मिले। ये
पहली बार नहीं है जब उनके खिलाफ इस तरह के पोस्टर लगाए गये हों। इससे पहले भी कई
बार चेन्नई में इस तरह के पोस्टर लगाए जा चुके हैं। ये नया विवाद तब शुरू हुआ जब आरएन रवि ने कहा कि राज्यपाल के पास विधानसभा द्वारा पारित विधेयक को
मंजूरी देने या रोकने का विकल्प है।
हाल ही में तमिलनाडु के
मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने राज्यपाल की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि वह
अपने कर्तव्यों का पालन नहीं कर रहे हैं और उन्होने विधेयकों को मंजूरी नहीं दी।
मुख्यमंत्री ने यह भी कहा, "यह
दिखाता है कि न केवल राज्यपाल कर्तव्यों में लापरवाही बरत रहे हैं बल्कि काम में
बाधा भी डाल रहे हैं। अगर हम लगातार दबाव बनाते हैं तो राज्यपाल किसी विषय पर
स्पष्टीकरण मांग कर, विधेयक लौटा दे रहे हैं, और सोचते हैं उनकी जिम्मेदारी खत्म हो गई है।
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चिदंबरम ने एक ट्वीट में कहा, “तमिलनाडु के
राज्यपाल ने विधायिका द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति न देने को लेकर अजीब और नई
परिभाषा दी है। जब कोई राज्यपाल बिना किसी वैध कारण के किसी बिल पर सहमति नहीं
देता है, तो इसका मतलब है कि 'संसदीय लोकतंत्र मर चुका है'।”
शुक्रवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा, “संसदीय लोकतंत्र मर चुका है"।
ये वाक़या सिर्फ तमिलनाडु का ही
नहीं है। विपक्ष द्वारा शासित राज्यों में राज्यपालों ने अपनी संविधान के रक्षक की
भूमिका से आगे निकल कर राज्य सरकारों के रोजमर्रा के काम में दखल देना शुरू कर
दिया है। जिसके कारण चुनी गई सरकार और उनके बीच तनातनी का माहौल रहता है। और यह
केवल एक राज्य में नहीं हो रहा है। यह हर उस राज्य की में हो रहा है जहां सीधे तौर
पर बीजेपी सत्ता में नहीं है।
ऐसा ही मामला पं बंगाल का है
जहां के राज्यपाल सीवी बोस ने सरकार के अंतर्गत आने वाले विश्वविद्यालयों को अपने
यहाँ होने वाली हर गतिविधि की हर सप्ताह रिपोर्ट देने को कहा है। इसके साथ ही
उन्होंने विश्वविद्यालयों के कुलपतियों से वित्त संबधी किसी भी काम से पहले उनकी
मंजूरी लेने के लिए भी कहा है। राज्यपाल की तरफ से 4 अप्रैल को लिखे गये पत्र में
यह भी कहा गया है कि अगर कुलपति किसी भी जरूरी काम से पहले उनसे फोन पर संपर्क कर
सकते हैं।
दिल्ली में आम आदमी पार्टी की
सरकार बनने के बाद से सरकार और उपराज्यपाल के बीच होने वाले झगड़े किसी से छुपे
नहीं हैं। मुख्यमंत्री केजरीवाल अक्सर किसी न किसी मुद्दे पर सरकार को परेशान करने
का आरोप लगाते रहते हैं।
ताजा मामले में उपराज्यपाल विनय
सक्सेना ने केजरीवाल और उनके मंत्रिमंडल सहयोगियों तथा अधिकारियों को नागरिकों को
गुमराह करने वाली कोई भी झूठी, आधारहीन और गैर-सत्यापित टिप्पणी करने से बचने के लिए
कहा है। उन्होंने केजरीवाल की हाईकोर्ट में बार-बार झूठ बोलने का आरोप भी लगा दिया
है।
तमिलनाडु से और खबरें
उपराज्यपाल विनय सक्सेना की
टिप्पणी ऐसे समय आई है जब दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना ने एक ट्वीट
करते हुए लिखा कि एलजी और भाजपा ने किसानों और अधिवक्ताओं के लिए बिजली सब्सिडी
रोकने की साजिश रची है। उपराज्यपाल ने मार्लेना की इस टिप्पणी की आलोचना की है।
इस मसले पर उपराज्यपाल ने कहा
कि पिछले कुछ दिनों से बिजली मंत्री सरकार तथा आम आदमी पार्टी के अन्य पदाधिकारी
मीडिया में झूठे, भ्रामक और मानहानिकारक बयान दे रहे हैं कि
उपराज्यपाल बिजली क्षेत्र में दी जाने वाली सब्सिडी रोक रहे है।
राज्यपालों द्वारा चुनी हुई
सरकार के अधिकार क्षेत्र में दखल के कई और मामले हैं। महाराष्ट्र
के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे सरकार के बीच की खींचतान किसी से
छिपी नहीं है। कोश्यारी ने कई बार ऐसी कोशिश की जिससे ठाकरे सरकार को नीचा दिखाया
जा सके, इसको लेकर उनकी काफी आलोचना भी हुई।
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