राज्यपालों ने अपनी संविधान के रक्षक की भूमिका से आगे निकल कर राज्य सरकारों के रोजमर्रा के काम में दखल देना शुरू कर दिया है। जिसके कारण चुनी गई सरकार और उनके बीच तनातनी का माहौल रहता है। और यह केवल एक राज्य में नहीं हो रहा है। यह हर उस राज्य की में हो रहा है जहां सीधे तौर पर बीजेपी सत्ता में नहीं है।