प्रधानमंत्री मोदी ने अब तक अपने 9 साल के कार्यकाल में क्या योगदान दिया है? नौजवानों के सपनों का क्या हुआ? क्या दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और स्त्रियों की स्थिति बदली?
भारत में महिलाओं की स्थिति अब तक कैसी रही है? महिलाओं की जिस पराधीन स्थिति की बात की जाती है, आखिर वह स्थिति किन वजहों से बनी? जानिए आरआरएस क्या मानता रहा है और इसकी दलीलें क्या रही हैं।
महिलाओं को माहवारी के दिनों की छुट्टियाँ देने का प्रस्ताव पारित हो जाता है तो इसके क्या फायदे होंगे? क्या नुक़सान भी हो सकता है और महिलाओं को नौकरियों में भेदभाव भी सहना पड़ सकता है? तो उपाय क्या है?
क्या जो समाज बेटियों की शिक्षा पर जोर दे रहा है, उन्हें आगे बढ़ा रहा है, वही अनजाने में उन्हें नीचे की ओर भी खींच रहा है? शहरों में कामकाजी एकल महिलाओं के सामने आख़िर क़दम-क़दम पर मुश्किलें क्यों आ रही हैं?
देश में महिलाओं की स्थिति पुरुषों के मुक़ाबले कैसी है? क्या महिलाओं के सशक्तिकरण के दिशा में सरकार के स्तर पर पर्याप्त प्रयास किए गए हैं? यदि ऐसा है तो हालात सुधरते दिख क्यों नहीं रहे हैं?
र्तमान पारिवारिक ढाँचे में तीन हज़ार साल से कोई बदलाव नहीं आया तो अब क्या आएगा? नसों में जो ग़ुलामी उतार दी गई है, उसे कैसे बाहर निकालेंगे? थप्पड़ एक फ़िल्म नहीं, स्त्री के स्वाभिमान का लहूलुहान चेहरा है।