नरेंद्र मोदी सरकार दस वर्ष पूरे करने जा रही है। 2014 में नरेन्द्र मोदी को एक ऐसा भारत मिला, जो आर्थिक मोर्चे पर दुनिया के विकसित देशों से होड़ कर रहा था। सबसे बड़ी नौजवान आबादी की आँखों में बड़े-बड़े सपने पल रहे थे। विविधता से भरे हुए भारत में एक ऐसा मध्यवर्ग उभरकर सामने आ चुका था, जो अपनी तरक्की और भविष्य को लेकर बहुत गंभीर था। भावुक देशभक्ति से लबरेज यह वर्ग देश की आंतरिक समस्याओं का त्वरित समाधान चाहता था। साठ साल के जवां लोकतंत्र ने नरेन्द्र मोदी को, भारत को अधिक सशक्त और समुन्नत बनाने का मौक़ा दिया था। भारत के नागरिकों ने अपने सपनों, अपनी हसरतों और उम्मीदों को नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंप दिया था। अब, जबकि मोदी सरकार अपने दो टर्म पूरा करने जा रही है, इसको जांचना जरूरी है कि दस वर्षों में देश कहां पहुंचा है? नौजवानों के सपनों का क्या हुआ? सामाजिक लोकतंत्र कितना मजबूत हुआ? दलितों, पिछड़ों, आदिवासियों और स्त्रियों की स्थितियों में क्या बदलाव हुए? संवैधानिक मूल्यों की कसौटी पर भी सरकार का मूल्यांकन होना चाहिए।