नवी मुंबई की तलोजा जेल में 7 लोग भूख हड़ताल पर हैं। ये लोग मानवाधिकार कार्यकर्ता हैं और भीमा कोरेगांव केस में आरोपी हैं। इन्हें कोर्ट में जानबूझ कर पेश नहीं करने का आरोप लगाया गया है। अदालत ने निर्देश दिया कि इन सभी को कोर्ट में पेश किया जाए लेकिन इसके बावजूद अदालती आदेश की अनदेखी कर दी गई है। इस केस में कुछ लोगों को जमानत भी मिल चुकी है। फादर स्टेन स्वामी की मौत हो चुकी है। जानिये पूरा मामलाः
आदिवासियों के लिए काम करने वाले एक्टिविस्ट स्टैन स्वामी पर आतंकवादियों से लिंक रखने का आरोप किस आधार पर लगाया गया था? क्या उनके ख़िलाफ़ साज़िश रची गई थी? जानिए, अमेरिकी रिपोर्ट में क्या दावा किया गया है।
भारत के एक्टिविस्ट रहे स्टेन स्वामी को जिनेवा में मानवाधिकारों के लिए मिलने वाला सबसे बड़ा सम्मान दिया जाएगा। जानिए कौन थे स्टेन स्वामी और सरकार के निशाने पर क्यों थे।
स्टेन स्वामी की मौत की कहानी और उनकी ही तरह राज्य के अपराधी घोषित किये जाने वाले अन्य लोगों की व्यथाएँ निरंकुश सत्ता की बर्बरता के अंतहीन ‘हॉरर’ सीरियल की तरह नज़र आती हैं।
सामाजिक कार्यकर्ता स्टैन स्वामी की मौत के बाद अब एक अमेरिकी फोरेंसिक एजेंसी की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रोना विल्सन के साथ ही आदिवासियों के लिए काम करने वाले सुरेंद्र गाडलिंग के कम्प्यूटर में वायरस के माध्यम से दस्तावेज डाले गये थे।
स्टेन स्वामी की मौत पर बढ़ा आक्रोश। यूएन, ईयू ने भी स्टेन स्वामी की मौत पर दी तीखी प्रतिक्रिया। भीमा कोरेगांव के बाकी आरोपियों को लेकर बढ़ी चिंताएँ। देश के असंवेदनशील सिस्टम का शिकार हुए स्टेन स्वामी?
स्टेन स्वामी को न अदालतें बचा सकीं, न संविधान और न ही इस देश के लोग। क्या ये हम सबके लिए ये शर्म की बात नहीं है? क्या ये सिलसिला कहीं रुकेगा या फिर और तेज़ होगा? मुकेश कुमार के साथ चर्चा में हिस्सा ले रहे हैं-मेधा पाटकर, अपूर्वानंद, कविता कृष्णन और दिनेश गुप्ता
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। हुड्डा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने की मांग तेज़, विधायकों की दिल्ली में दस्तक। यूएन, ईयू के मानवाधिकार प्रतिनिधियों ने स्टैन स्वामी की मृत्यु को 'भयानक' बताया।
क्या फ़ादर स्टैन स्वामी की मौत स्वाभाविक है? अगर फ़ादर स्टैन की गिरफ़्तारी नहीं हुई होती, वे अपने घर में होते तो क्या उनकी मौत होती? आखिर किस गुनाह के लिए वे अपने जीवन के अंतिम 217 दिन जेलों में रहे?
पादरी स्टैन स्वामी पार्किंसंस के रोगी लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा के लिये ख़तरा । NIA ने जेल में डाला, अदालत ने ज़मानत नहीं दी । किसने मारा स्टैन स्वामी को ? आशुतोष के साथ चर्चा में वी एन राय, आभा सिंह, फ़िरदौस मिर्ज़ा, पंकज श्रीवास्तव और आलोक जोशी ।
झारखंड के मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी का निधन पुलिस हिरासत में हो गया है। उन्हें एलगार परिषद से जुड़े होने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था और उन पर आतंक-निरोधी क़ानून लगाए गए थे।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि आदिवासियों के लिए काम करने वाले 84 वर्षीय मानवाधिकार कार्यकर्ता स्टैन स्वामी को स्वास्थ्य सुविधाएँ और इलाज का हर संभव प्रयास किया जाए।
केंद्रीय कानून मंत्री को ऐतराज़ है कि न्यायपालिका के रवैये को न्यायिक बर्बरता क्यों कहा जा रहा है। सवाल उठता है कि अगर न्याय व्यवस्था मानवीय मानदंडों को भूलकर फ़ैसले सुनाने लगे तो उसे बर्बरता क्यों नहीं माना जाना चाहिए? वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
झारखंड के आदिवासियों के लिए काम करने वाले 83 वर्ष के बुज़ुर्ग सामाजिक कार्यकर्ता स्टेन स्वामी पार्किंसन नामक बीमारी से जूझ रहे हैं। जेल में उन्हें स्ट्रॉ और सिपर कप जैसी छोटी-मोटी ज़रूरत की चीज़ें भी नहीं मिल रही हैं?