हुक्मरान जब नौजवानों के मुकाबले वृद्धावस्था में प्रवेश कर चुके अथवा उसे भी पार कर चुके नागरिकों से ज्यादा खतरा महसूस करने लगें तो क्या यह नहीं समझ लिया जाना चाहिए कि सल्तनत में सामान्य से कुछ अलग चल रहा है? जीवन भर आदिवासियों के हकों की लड़ाई लड़ने वाले और शरीर से पूरी तरह अपाहिज हो चुके चौरासी बरस के स्टेन स्वामी की अपनी ही जमानत के लिए लड़ते-लड़ते हुई मौत उन नौजवानों के लिए कई सवाल छोड़ गई है जो नागरिक अधिकारों के लिए संघर्ष को अपने जीवन का घोषणापत्र बनाने का इरादा रखते होंगे।