डेटा सुरक्षा कानून ने जो प्रस्तावित किया है वह आरटीआई अधिनियम की एक धारा में संशोधन भी शामिल है। इस संशोधन से यह हो जाएगा कि सरकारी अधिकारियों के बारे में व्यक्तिगत जानकारी का खुलासा करने की अनुमति नहीं होगी।
भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने सूचना अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत चुनावी बांड के विवरण का खुलासा करने से इनकार कर दिया है। हालांकि यह पूरी जानकारी अब केंद्रीय चुनाव आयोग की साइट पर है और पूरी तरह सार्वजनिक है। इसके बावजूद एसबीआई का जवाब है कि जानकारी व्यक्तिगत है। इसलिए यह नहीं दी जा सकती। भारत के सबसे बड़े घोटाले को सरकार के तमाम विभाग हर स्तर पर किस तरह दबाने को बेताब हैं, उसका यह नायाब नमूना है। जानिए पूरी बातः
केंद्र सरकार के 44 विभागों को 1500 सलाहकार चला रहे हैं। इनमें देश की चार बड़ी प्राइवेट कंपनियों के लोग भी शामिल हैं। इसका खुलासा इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट में किया गया है। उसने इसे सलाहकार राज नाम दिया है। जानिए और क्या है रिपोर्ट मेंः
मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा के बाद अनुच्छेद 355 लगाया गया है या नहीं, इसको लेकर राज गहरा गया है? जानिए, आख़िर यह अनुच्छेद क्या है और मणिपुर पर स्थिति साफ़ क्यों नहीं है।
भारत में प्रेस की आजादी खतरे में है। इसमें अब कोई दो राय नहीं है। हाल ही में मीडिया वन चैनल के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का जो फैसला आया है, उससे यह बात शीशे की तरह साफ हो गई है। अंतरराष्ट्रीय संस्थाएं पहले ही भारती मीडिया की आजादी को लेकर चिन्ताजनक बताया है। वरिष्ठ पत्रकार वंदिता मिश्रा ने अपने कालम में विभिन्न पहलुओं से इस मुद्दे को उठाया है।
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनॉल़्ड ट्रंप की 2020 में भारत यात्रा विवादों में रही है। उसे लेकर एक आरटीआई दायर की गई थी, जिसमें पूछा गया था कि भारत सरकार ने इस यात्रा पर कितना खर्च किया था। बहुत लंबे अर्से बाद विदेश मंत्रालय ने उसका जवाब केंद्रीय सूचना आयोग को भेजा है।
आरटीआई से मिले दस्तावेजों से पता चला है कि महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के भतीजे तन्मय फडणवीस ने वैक्सीन लेने के लिए अपने आप को स्वास्थ्यकर्मी बताकर कोरोना का टीका लिया था।
दिल्ली हाई कोर्ट के फ़ैसले के बाद सूचना का अधिकार (आरटीआई) क़ानून अब पूरी तरह बेअसर हो जाएगा और स्वतंत्र हैसियत वाला केंद्रीय सूचना आयोग एक आम सरकारी महकमे की तरह हो जाएगा।
Satya Hindi News Bulletin। सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन।सरकार ने आरोग्य सेतु को दिया बढ़ावा लेकिन पता नहीं किसने बनाया।बिहार में शाम 6 बजे तक 53.54 फीसदी मतदान हुआ
आरोग्य सेतु को किसने बनाया, उसके बारे में नेशनल इन्फ़ॉर्मेटिक्स सेंटर और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को ही इसकी जानकारी नहीं है। केंद्रीय सूचना आयोग ने 'ढुलमुल जवाब' देने के लिए सरकार को नोटिस जारी किया है।
एक के बाद एक क़ानून में लगातार संशोधन क्यों किए जा रहे हैं। आरटीआई, एनआईए, यूएपीए क़ानून में संशोधन से पहले क्या पूरी चर्चा हो रही है? इमर्जेंसी तो नहीं लगी है, लेकिन लोग क्यों कह रहे हैं कि यह उससे कम भी नहीं है। ऐसे ज्वलंत हालात पर देखिए 'रिटायर्ड आईएएस राजू शर्मा से शीतल के सवाल'।
क्या अब जनता को आरटीआई उसके अधिकार से दूर रखने के प्रयास किये जा रहे हैं? यह सवाल केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में आरटीआई क़ानून को लेकर पास किये गये संशोधन बिल के बाद खड़े होने लगे हैं।