जब डाटा प्रोटेक्शन बिल क़ानून नहीं बना था तब से ही इसका विरोध सिर्फ़ एक्टिविस्ट, सिविल सोसाइटी और विपक्षी दल ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसको लेकर सरकारी थिंक टैंक ने भी चेताया था। नीति आयोग ने डाटा प्रोटेक्शन बिल में जिन कुछ प्रावधानों को लेकर आगाह किया था कि उनमें से एक आरटीआई के कमजोर होने को लेकर चेतावनी भी थी। लेकिन सरकार ने अनसुना कर दिया और बिल को उसी रूप में पास कर दिया और यह क़ानून बन गया। द इंडियन एक्सप्रेस ने आधिकारिक सूत्रों के हवाले से यह ख़बर दी है। हालाँकि, इस क़ानून को अभी लागू किया जाना बाक़ी है।