मणिपुर में जब 3 मई को बड़े पैमाने पर हिंसा शुरू हुई थी तो क्या स्थिति नियंत्रित करने के लिए केंद्र ने क़दम उठाए थे? क्या आंतरिक गड़बड़ी से बचाने के लिए राज्यों में लगाया जाने वाला अनुच्छेद 355 लागू किया गया था? कम से कम तब तो मीडिया रिपोर्टों में साफ़-साफ़ यही कहा गया था कि 4 मई को केंद्र ने अनुच्छेद 355 लगाकर राज्य में हिंसा को नियंत्रित करने का काम शुरू कर दिया है? लेकिन अब सवाल उठ रहा है कि क्या सच में ऐसा हुआ कि अनुच्छेद 355 लगाया गया?
अब सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने पहली बार साफ़ तौर पर कहा है कि उसे जनवरी 2023 और 13 जून, 2023 के बीच संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत केंद्र द्वारा जारी किसी भी अधिसूचना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। ऐसा द वायर की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है। दो दिन पहले ही इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने लोकसभा में पेश किए जाने वाले अपने जवाबों की अंतिम सूची में यह सवाल छोड़ दिया कि क्या अनुच्छेद 355 को मणिपुर में लागू किया जा सकता है।
ऐसी घटनाएँ तब घटी हैं जब 1 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने बेहद कड़ी टिप्पणी की है कि मणिपुर में राज्य मशीनरी पूरी तरह से विफल हो गई है और हिंसा प्रभावित राज्य में कोई कानून-व्यवस्था नहीं बची है।
बता दें कि तीन महीने पहले जब मणिपुर में हिंसा शुरू हुई थी तो मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि केंद्र सरकार ने 4 मई को पहाड़ी और घाटी क्षेत्रों में आगजनी और हिंसा के मद्देनजर अनुच्छेद 355 लागू करके सुरक्षा स्थिति की जिम्मेदारी संभाली है। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि अनुच्छेद 355 के आधार पर गृह मंत्रालय ने पूर्वोत्तर राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को नियंत्रित करने के लिए दो महत्वपूर्ण नियुक्तियाँ की थीं। अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (खुफिया) आशुतोष सिन्हा को एमएचए ने 5 मई की रात को कानून और व्यवस्था की स्थिति के समग्र परिचालन कमांडर के रूप में नियुक्त किया था।
अनुच्छेद 355 भारत के संविधान में अनुच्छेद 352 से 360 तक निहित आपातकालीन प्रावधानों का एक हिस्सा है। यह केंद्र सरकार को आंतरिक गड़बड़ी और बाहरी आक्रमण के खिलाफ राज्य की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का अधिकार देता है।
लेकिन जानकार कहते हैं कि अनुच्छेद 355 को अनुच्छेद 356 के बिना नहीं लगाया जा सकता है। अनुच्छेद 356 किसी राज्य को औपचारिक रूप से राष्ट्रपति शासन के अधीन लाता है। कहा जाता है कि भारत में अब तक कभी भी अनुच्छेद 356 के बिना किसी राज्य पर अनुच्छेद 355 नहीं लगाया गया है।
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