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मणिपुर हिंसा के दो साल बाद सीएम बीरेन सिंह ने अब दिया इस्तीफ़ा

मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को इस्तीफा दे दिया। राज्य में जातीय हिंसा भड़कने के लगभग दो साल बाद उनका यह फ़ैसला आया है। हिंसा के लिए उनकी लगातार आलोचना होती रही। कांग्रेस सहित तमाम विपक्षी दल मुख्यमंत्री के इस्तीफ़े की मांग करते रहे थे। लेकिन तमाम आलोचनाओं के बाद वह पद पर बने रहे। उनका इस्तीफ़ा तब आया है जब कहा जा रहा है कि राज्य बीजेपी में उनके नेतृत्व को लेकर असंतोष है और कांग्रेस उनकी सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव लाने की तैयारी में है।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा, 'कांग्रेस कल मणिपुर विधानसभा में मुख्यमंत्री और उनके मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए पूरी तरह तैयार थी। माहौल को भांपते हुए मणिपुर के सीएम ने अभी-अभी इस्तीफा दिया है। यह एक ऐसी मांग थी जो कांग्रेस मई 2023 की शुरुआत से ही कर रही थी, जब मणिपुर में उथल-पुथल मची थी। सीएम का इस्तीफा देर से हुआ। मणिपुर के लोग अब हमारे फ्रीक्वेंट फ़्लायर पीएम की यात्रा का इंतज़ार कर रहे हैं, जो अब फ्रांस और अमेरिका के दौरे पर हैं और जिन्हें पिछले बीस महीनों में मणिपुर जाने के लिए न तो समय मिला है और न ही इच्छा हुई है।' 

मुख्यमंत्री बीरेन सिंह ने रविवार शाम को राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद भाजपा के पास पर्याप्त संख्या है, लेकिन ऐसी संभावना थी कि राज्य में नेतृत्व में बदलाव की मांग करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना कर सकते थे। कहा जा रहा है कि पार्टी में अपने ख़िलाफ़ बने माहौल को देखते हुए संभावित संकट को टालने के लिए मुख्यमंत्री ने केंद्रीय नेतृत्व से विचार-विमर्श करने के बाद पद छोड़ा है। बीरेंद्र सिंह रविवार सुबह दिल्ली में थे, जहां उन्होंने पार्टी प्रमुख जेपी नड्डा और इसके मुख्य रणनीतिकार, केंद्रीय मंत्री अमित शाह से मुलाकात की।

एनडीटीवी ने पार्टी सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट दी है कि क़रीब 12 विधायक नेतृत्व परिवर्तन के लिए जोरदार तरीके से दबाव बना रहे थे, और करीब छह विधायक अभी भी असमंजस में हैं। ख़बरें तो ऐसी भी आ रही हैं कि विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री के बीच मतभेद हैं।

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इस्तीफे में क्या लिखा?

मणिपुर के राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को सौंपे अपने इस्तीफे में बीरेन सिंह ने कहा, 'अब तक मणिपुर के लोगों की सेवा करना सम्मान की बात रही है। मैं समय पर कार्रवाई, हस्तक्षेप, विकास कार्य और मणिपुर के हर व्यक्ति के हितों की रक्षा और विभिन्न परियोजनाओं के कार्यान्वयन के लिए केंद्र सरकार का बहुत आभारी हूं।'

विधानसभा में क्या है स्थिति?

मणिपुर विधानसभा में बीजेपी के 32 विधायक हैं। इसके साथ ही नगा पीपुल्स फ्रंट के पांच और जेडीयू के छह विधायकों का भी समर्थन है। सहयोगी कॉनराड संगमा की नेशनल पीपुल्स पार्टी द्वारा समर्थन वापस लेने के बावजूद भाजपा के पास आरामदायक बहुमत है। हालांकि, ऐसी अटकलें थीं कि राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की वकालत करने वाले विधायक फ्लोर टेस्ट की स्थिति में पार्टी व्हिप की अवहेलना करते।

मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के पास पांच सीटें हैं, जबकि विपक्षी नेशनल पीपुल्स पार्टी यानी एनपीपी के पास सात विधायक हैं। इसके अलावा, तीन निर्दलीय विधायक और कुकी पीपुल्स अलायंस का प्रतिनिधित्व करने वाले दो सदस्य हैं।

राज्य में दो साल पहले भड़की थी हिंसा

2023 में 3 मई को मणिपुर में हिंसा भड़की थी। मैतेई और कुकी समुदायों के बीच लंबे समय से चला आ रहा तनाव हिंसा में बदल गया था। शुरू के तीन दिनों में कम से कम 52 लोगों की जान चली गई थी। तब मणिपुर में पुरुषों की भीड़ द्वारा दो महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न और नग्न परेड कराने की घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था। महिलाओं का एक वीडियो 2023 के जुलाई महीने में वायरल हुआ था। एक खेत की ओर जाते समय पुरुषों को महिलाओं को घसीटते और उनका यौन उत्पीड़न करते देखा गया था।

तब से जारी हिंसा के दौरान कम से कम 226 लोग मारे जा चुके हैं। इसमें 20 महिलाएं और 8 बच्चे भी शामिल हैं। करीब 1500 घायल हुए हैं। वहीं 60 हजार लोग इस हिंसा के कारण राज्य के भीतर ही विस्थापित हुए हैं। इसके साथ ही 13247 आवास, दुकान, समेत अन्य संरचनाएं नष्ट हो गई हैं। 

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मारे गए लोगों के अलावा दो दर्जन से ज़्यादा लोग लापता हैं जिनके बारे में माना जा रहा है कि या तो उनका अपहरण हुआ है या उनकी हत्या कर दी गई है।

पिछले कुछ दिनों से ऐसी ख़बरें आ रही थीं कि बीरेन सिंह पर अपने ही कुछ विधायकों से भारी दबाव है। दबाव की ऐसी ख़बरों के बीच विधायक कई बार दिल्ली का दौरा कर चुके हैं। 

कुछ दिन पहले ही माफी मांगी थी

पिछले साल के आख़िरी दिन एन बीरेन सिंह ने राज्य के लोगों से माफी मांगी और मई 2023 के बाद से राज्य में हुई जातीय हिंसा के लिए खेद जताया था। मुख्यमंत्री ने कहा था कि 'यह पूरा साल बहुत दुर्भाग्यपूर्ण रहा है। मुझे अफसोस है और मैं राज्य की जनता से कहना चाहता हूं कि पिछले 3 मई से आज तक जो कुछ हो रहा है, उसके लिए मैं राज्य की जनता से माफी मांगना चाहता हूं। तमाम लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया। कई लोगों ने अपना घर छोड़ दिया। मुझे सचमुच अफसोस हो रहा है। मैं माफी मांगना चाहूंगा।'

बीरेन सिंह ने कहा था, 'अब, मुझे उम्मीद है कि नए साल 2025 के साथ, राज्य में सामान्य स्थिति और शांति बहाल हो जाएगी। मैं राज्य के सभी समुदायों से अपील करता हूं कि जो भी हो जो हुआ सो हुआ। हमें अब पिछली गलतियों को भूलना होगा और एक शांतिपूर्ण मणिपुर, एक समृद्ध मणिपुर के लिए एक नया जीवन शुरू करना होगा।' 

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हिंसा की वजह क्या?

मणिपुर में हिंसा की वजह दो समुदायों- मैतेई और कुकी समुदायों के बीच चली आ रही तनातनी है। कहा जा रहा है कि यह तनाव तब बढ़ गया जब मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही जाने लगी। इसको लेकर हजारों आदिवासियों ने राज्य के 10 पहाड़ी जिलों में एक मार्च निकाला। इन जिलों में अधिकांश आदिवासी आबादी निवास करती है। यह मार्च इसलिए निकाला गया कि मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के प्रस्ताव का विरोध किया जाए। मैतेई समुदाय की आबादी मणिपुर की कुल आबादी का लगभग 53% है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है।

मणिपुर मुख्य तौर पर दो क्षेत्रों में बँटा हुआ है। एक तो है इंफाल घाटी और दूसरा हिल एरिया। इंफाल घाटी राज्य के कुल क्षेत्रफल का 10 फ़ीसदी हिस्सा है जबकि हिल एरिया 90 फ़ीसदी हिस्सा है। इन 10 फ़ीसदी हिस्से में ही राज्य की विधानसभा की 60 सीटों में से 40 सीटें आती हैं। इन क्षेत्रों में मुख्य तौर पर मैतेई समुदाय के लोग रहते हैं। ऐसे में जब मैतेई को एसटी का दर्जा दिए जाने की बात कही जाने लगी तो तनाव बढ़ गया।

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क़मर वहीद नक़वी
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