सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल और पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के भाजपा से अपनी सीटें हारने के बाद आम आदमी पार्टी को अब तक की सबसे बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दिल्ली में सरकार बनाने वाली पार्टी को अब बीजेपी द्वारा 48 सीटों के साथ आसान जीत हासिल करने के बाद पहली बार विपक्ष की भूमिका निभानी होगी। लेकिन उसके पास दूसरी लाइन की लीडरशिप क्या तैयार है। केजरीवाल ने भी उसी कल्ट राजनीति को बढ़ावा दिया, जो बीजेपी और कांग्रेस में भी है। बीजेपी में तो स्थिति वैसे थोड़ी बेहतर है कि वहां मोदी के अमित शाह, राजनाथ सिंह और जेपी नड्डा का नाम दूसरी लाइन के नेता माने जाते हैं। लेकिन आप में तो सिर्फ गोपाल राय और आतिशी ही विधानसभा में सीनियर नेता बचे हैं।

केजरीवाल के सत्ता से बाहर होने के बाद यह देखना होगा कि क्या वे पार्टी के सदस्यों को एकजुट रख पाएंगे। पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर मतभेद और विधायकों के पार्टी छोड़ने की आशंका के बीच, विपक्ष के नेता की भूमिका निभाने के लिए किसे चुना जाएगा, यह एक अहम सवाल है। इस पद के लिए अतिशी और गोपाल राय दो प्रमुख उम्मीदवार हैं, जो केजरीवाल के विश्वस्त सहयोगी माने जाते हैं।