आप लोगों को लगता होगा कि पीएम मोदी और उनके तमाम मंत्री जब पूजापाठ और मंदिरों के चक्कर लगा रहे हैं तो ऐसे में सरकार कौन चला रहा होगा। उसके लिए मोदी सरकार ने बहुत पुख्ता इंतजाम किया है। किसी को घबराने की जरूरत नहीं है। इंडियान एक्सप्रेस ने सूचना का अधिकार (आरटीआई) के तहत जानकारी लेकर बताया है कि केंद्र सरकार के लगभग 44 विभागों को 1499 सलाहकार चला रहे हैं। इनमें बिग फोर (अर्नस्ट एंड यंग, पीडब्ल्यूसी, डेलॉइट और केपीएमजी) सहित बाहरी एजेंसियों के सलाहकार भी शामिल हैं। आंकड़ों के अनुसार, ये विभाग इन सलाहकारों पर कुल मिलाकर 302 करोड़ रुपये का सालाना खर्च करते हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इन सलाहकारों में 1,037 युवा प्रोफेशनल, 539 स्वतंत्र सलाहकार, 354 उसी विभाग के विशेषज्ञ, 1,481 रिटायर्ड सरकारी अधिकारियों और 20,376 अन्य कम वेतन वाले कर्मचारियों के अलावा 76 विभागों द्वारा सीधे या आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए इन्हें कॉन्ट्रैक्ट पर रखा गया है।
केंद्रीय वित्त मंत्रालय के तहत काम करने वाले व्यय विभाग ने आरटीआई के जवाब में कहा कि 76 विभागों ने कॉन्ट्रैक्ट पर लिए गए लोगों के बारे में जानकारी दी है। इनमें बाहरी एजेंसियों के साथ काम करने वाले सलाहकार, युवा प्रोफेशनल, स्वतंत्र सलाहकार, डोमेन विशेषज्ञ, आउटसोर्सिंग के जरिए लिए गए कर्मी हो सकते हैं। इनमें पीएसयू के अधिकारी, सरकारी बैंकों और लोन रेगुलेटरी अथॉरिटी, रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी, मल्टी-टास्किंग और डेटा एंट्री कार्यों के लिए काम पर रखे गए लोग शामिल हैं। बजट 2024-25 की तैयारी से पहले 4 अक्टूबर को व्यय विभाग ने सभी मंत्रालयों के विभागों से यह सूचना मांगी थी।
रिपोर्ट के मुताबिक सरकार के 6 बड़े विभाग ऐसे हैं जिनमें सलाहकारों की भरमार है। जिसमें स्वास्थ्य और परिवार कल्याण के 203, ग्रामीण विकास के 166, कृषि और किसान कल्याण के 149, आवास और शहरी प्रशासन मंत्रालय के 147, महिला और बाल विकास के 112 और सड़क परिवहन और राजमार्ग के 99 सलाहकार शामिल हैं। कुल मिलाकर, वे कुल 1,499 में से 876 या उसका 58 फीसदी हैं। सिर्फ इन्हीं विभागों पर कुल खर्च 130 करोड़ रुपये सालाना हैं । यह इस मद में कुल खर्च 302 करोड़ रुपये का 43 फीसदी है। यानी अकेले 6 विभाग ही कुल सालाना खर्च 302 करोड़ का 43 फीसदी पैसा सलाहकारों पर खर्च कर रहे हैं। कृषि और किसान कल्याण विभाग ने व्यय विभाग द्वारा मांगी गई सूचना का जवाब नहीं दिया।
कॉन्ट्रैक्ट पर युवा प्रोफेशनलों की भर्ती करने में नीति आयोग टॉप पर है। उसने ऐसे 95 युवा प्रोफेशनल भर्ती किए हैं। कॉमर्स विभाग ने 87 युवा प्रोफेशनल और उद्योग संवर्धन और आंतरिक व्यापार विभाग में ऐसे 78 युवा प्रोफेशनल हैं। कॉन्ट्रैक्ट पर स्वतंत्र सलाहकारों को रखने वाले शीर्ष तीन विभाग हैं: कृषि और किसान कल्याण में 86, एनआईटीआई में 52, सड़क परिवहन और राजमार्ग में 41। डोमेन विशेषज्ञ रखने वाले टॉप विभाग हैं- कृषि और किसान कल्याण में 92, नागरिक उड्डयन में 70 और ग्रामीण विकास में 45 सलाहकार शामिल हैं।।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक युवा प्रोफेशनल्स को ज्यादातर 50,000 रुपये से 75,000 रुपये का भुगतान हर महीने किया जा रहा है। कृषि और किसान कल्याण को छोड़कर, विभागों और मंत्रालयों ने उनके साथ काम करने वाली बाहरी एजेंसियों के सलाहकारों को भुगतान किए गए पैसे के बारे में जानकारी दी है। लेकिन अन्य पदों के बारे में स्पष्ट नहीं है।
रिपोर्ट के मुताबिक कुछ स्वतंत्र सलाहकारों और डोमेन विशेषज्ञों को 1 लाख रुपये से 4 लाख रुपये प्रति माह तक का भुगतान भी हो सकता है। जैसे श्रम मंत्रालय ने कहा कि उसने दो सलाहकारों को हर महीने 7.5 लाख रुपये की सैलरी पर रखा। वाणिज्य विभाग में भी नियुक्त लोगों को हर महीने 1.45 लाख रुपये से 3.30 लाख रुपये के बीच मिलता है। नीति आयोग में ऐसे लोगों को हर महीने 3.30 लाख रुपये तक दिए जा रहे हैं।
सरकार ने हालांकि ग्रुप डी (चपरासी, डेटा एंट्री, हाउसकीपिंग, आदि) भर्ती को खत्म कर दी है। लेकिन अब ऐसी नौकरियों के लिए आउटसोर्सिंग एजेंसियों के जरिए लोगों को नियुक्त किया गया है। 76 विभागों में ऐसे ही 20,376 लोग काम कर रहे हैं। जिसमें 3,877 हाउसकीपिंग स्टाफ, 5,136 डेटा एंट्री ऑपरेटर, 6,478 मल्टी-टास्किंग स्टाफ और 4,885 अन्य शामिल हैं। पहले इन लोगों को स्थायी नौकरी पर रखा जाता था, अब आउटसोर्सिंग के जरिए कॉन्ट्रैक्ट पर रखा जा रहा है।
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