मोदी के चुनावी भाषणों की वजह से भारत के मानवाधिकार की साख अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दांव पर लग गई है। 1 मई को ग्लोबल एलायंस ऑफ़ नेशनल ह्यूमन राइट्स इंस्टीट्यूशन्स की बैठक हो रही है, जिसमें भारत के मानवाधिकार की रेटिंग घटाई जा सकती है। ऐसा हुआ तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब होगी। लेकिन मोदी को परवाह नहीं है। वो हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतना चाहते हैं लेकिन भारत को मुश्किल में डालने जा रहे हैं।