सरकार ने एक बार फिर से अमेरिकी धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। इसने रिपोर्ट तैयार करने वाले संगठन को पक्षपाती और राजनीति से प्रेरित क़रार दिया है। अमेरिकी संघीय सरकार के एक आयोग की रिपोर्ट में भारत में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति खराब होने का आरोप लगाया गया है तथा इसे 'विशेष चिंता का देश' घोषित करने की मांग की गई है।
यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग यानी यूएससीआईआरएफ़ ने जारी की है। यूएससीआईआरएफ ने एक बयान में कहा है कि वरिष्ठ नीति विश्लेषक सेमा हसन द्वारा लिखित इस खंड में भारत पर गलत सूचना और भ्रामक सूचनाओं के इस्तेमाल का ज़िक्र किया गया है जिसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी शामिल है। इसने कहा है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि धार्मिक अल्पसंख्यकों और उनके पूजा स्थलों के खिलाफ हिंसक हमले भड़काए जा सकें।
अपनी वार्षिक रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने यह भी सिफारिश की है कि अमेरिकी विदेश विभाग भारत को धार्मिक स्वतंत्रता के व्यवस्थित, निरंतर और गंभीर उल्लंघन में संलग्न होने के लिए 'कंट्री ऑफ पार्टिकुलर कंसर्न' यानी विशेष चिंता का देश के रूप में नामित करे।
यूएससीआईआरएफ ने कहा, 'यह रिपोर्ट इस बात पर जोर देती है कि किस तरह 2024 के दौरान लोगों को विजिलेंट ग्रुपों द्वारा मारा गया, पीटा गया और लिंच किया गया, धार्मिक नेताओं को मनमाने ढंग से गिरफ्तार किया गया और घरों और पूजा स्थलों को ध्वस्त किया गया। ये घटनाएँ धार्मिक स्वतंत्रता का विशेष रूप से गंभीर उल्लंघन हैं।'
Our response to media queries regarding Country Update on India in the US Commission on International Religious Freedom report:https://t.co/NPNfWd7QE9 pic.twitter.com/8m1xQ97dyK
— Randhir Jaiswal (@MEAIndia) October 3, 2024
जायसवाल ने कहा, 'अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर संयुक्त राज्य आयोग पर हमारे विचार सर्वविदित हैं। यह एक पक्षपाती संगठन है जिसका राजनीतिक एजेंडा है।' अधिकारी ने कहा, 'हम इस दुर्भावनापूर्ण रिपोर्ट को खारिज करते हैं, जो यूएससीआईआरएफ को और बदनाम करने का ही काम करती है।'
भारत ने लगातार यूएससीआईआरएफ की रिपोर्टों की आलोचना की है, आयोग पर देश में धार्मिक स्वतंत्रता पर पक्षपातपूर्ण रुख अपनाने का आरोप लगाया है। भारत ने अपने आंतरिक मामलों में कथित हस्तक्षेप का हवाला देते हुए यूएससीआईआरएफ सदस्यों को देश का दौरा करने के लिए लगातार वीजा देने से इनकार कर दिया है।
यह पहली बार नहीं है जब भारत ने धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी पैनल की रिपोर्ट के निष्कर्षों के खिलाफ़ आवाज़ उठाई है। सरकार ने पहले भी रिपोर्टों की आलोचना की है और कहा है कि 'भारत की सामाजिक गतिशीलता की सही समझ की कमी' के कारण रिपोर्ट में भारत विरोधी प्रोपेगेंडा जारी है।
अपनी राय बतायें