महाराष्ट्र में तमाम अटकलों को खारिज करते हुए विपक्षी गठबंधन इंडिया के दलों ने मंगलवार 9 अप्रैल को सीट शेयरिंग का ऐलान कर दिया। इससे पहले तमाम अटकलें लगाई जा रही थीं कि कई सीटों पर शिवसेना (यूबीटी), कांग्रेस और शरद पवार की पार्टियों के बीच मतभेद है। मीडिया का एक वर्ग महाराष्ट्र में गठबंधन टूटने की बातें तक कर रहा था। लेकिन एमवीए (महाविकास अघाड़ी) के दलों ने सारी अटकलों पर विराम लगा दिया।
हालांकि जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार बार-बार साफ कर रहे हैं कि वो इंडिया में हैं। इसके बाद मीडिया में खबरें आईं कि उन्हें इंडिया गठबंधन का संयोजक बनाया जा रहा है। लेकिन बीच में मामला ठप हो गया। इस बारे में मीडिया के पूछने पर हाल ही में कांग्रेस अध्यक्ष खड़गे ने कहा था कि 10-12 दिनों में पता चल जाएगा। अब सीपीआई के डी राजा ने नीतीश से मुलाकात कर कहा इंडिया में रहिए। यही भाजपा-संघ का एकमात्र विकल्प है। यही भाजपा को लोकसभा चुनाव 2024 में हरा सकता है। जानिए पूरी राजनीतिः
इंडिया गठबंधन के दलों में सीट बंटवारे को लेकर बातचीत जारी है। कांग्रेस ने यूपी के मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी से पहले दौर की बातचीत पूरी कर ली है। अगली बैठक 12 जनवरी को है। जिसमें सीटों पर अंतिम निर्णय हो सकता है।
लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर हर पार्टी अपनी रणनीति बनाने में जुटी हुई है। जेडीयू प्रमुख नीतीश कुमार को पार्टी बतौर प्रधानमंत्री अब पेश नहीं करेगी। पार्टी नई रणनीति के तहत सिर्फ टीम इंडिया शब्द इस्तेमाल करेगी। इस बीच, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी ने नीतीश से फोन पर बात की है। समझा जाता है कि नीतीश की नाराजगी दूर करने के लिए ऐसा किया गया। जानिए पूरी राजनीतिः
विपक्षी इंडिया गठबंधन की मंगलवार 19 दिसंबर की बैठक कई मायने में महत्वपूर्ण है। संसद का शीतकालीन सत्र चल रहा है। इसी दौरान विपक्षी दलों के कुल 92 सांसदों को निलंबित किया जा चुका है। बैठक से पहले सोमवार रात टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और आप प्रमुख केजरीवाल की बैठक हुई। दोनों ओर से कोई बयान नहीं आया है, लेकिन इस बैठक में कितने दल आते हैं, यह संख्या महत्वपूर्ण हो गई है।
तमाम क्षेत्रीय दलों के रुख को देखते हुए इंडिया गठबंधन की बुधवार 6 दिसंबर को होने वाली बैठक स्थगित हो गई है। यह बैठक अब दिसंबर के तीसरे सप्ताह में होगी। लेकिन एक अन्य कमेटी की बैठक 6 दिसंबर को ही होगी। जानिए पूरा घटनाक्रमः
विपक्षी गठबंधन इंडिया की राजनीति चार राज्यों के चुनाव नतीजों के बाद गरमा उठी है। कांग्रेस ने 6 दिसंबर को इंडिया गठबंधन की बैठक बुलाई है। जब रुझान आने शुरू हुए तो सबसे पहले जेडीयू की तरफ से बयान आया कि इंडिया का नेतृत्व नीतीश कुमार को सौंपा जाए। अब टीएमसी भी वही बात कह रही है। जबकि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि हम नतीजों की समीक्षा करेंगे। जानिए पूरी राजनीतिः
इंडिया गठबंधन को लेकर बिहार के सीएम नीतीश कुमार के बयान के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार रात को फोन पर बात की। लेकिन सवाल ये है कि आखिर इंडिया गठबंधन के कांग्रेस और क्षेत्रीय क्षत्रप आपस में समझदारी क्यों नहीं दिखा रहे हैं। पढ़िएः
लगभग दो महीने पहले इंडिया गठबंधन में सीटे शेयरिंग का फॉर्मूला तय करने की बात हुई थी, लेकिन उसके बाद सारी गतिविधियां ठप हैं। इस दौरान कई क्षेत्रीय दलों के नेता अपना-अपना राग भी अलापने लगे हैं। किस तरफ जा रही है विपक्षी राजनीति, जानिएः
मुंबई में दो दिन के लिए जुटे 28 दलों के संगठन इंडिया के पोस्टरों में लिखा गया कि जुड़ेगा भारत तो जीतेगा इँडिया...ये बहुत ही सही लाइन है जो विपक्षी दलों के गठबंधन ने ली है. असल में इंडिया नाम रखने पर ही कई लोगों ने सवाल उठाया था, तब से ही कहा जाने लगा था कि नीतिश कुमार नाराज हैं कि भारत नहीं है। इसलिए अब इंडिया और भारत दोनों को ही उसके नारे और लोगो यानि चिन्ह में शामिल कर लिया गया है.
विपक्षी गठबंधन इंडिया की बैठक अगस्त की बजाय सितंबर में हो सकती है। पीटीआई का कहना है कि अगस्त में जिन तारीखों पर बैठक रखी गई है, एनसीपी प्रमुख शरद पवार उन तारीखों में बहुत व्यस्त हैं। इसलिए अब इस बैठक को सितंबर में किया जा सकता है।
मोदी क्यों INDIA से इतने कुपित हैं ? क्यों उसका तुलना Indian Mujahideen और IPF से कर रहे हैं ? क्या विपक्ष एक आतंकी संगठन है ? क्या ये तुलना लोकतांत्रिक है ? क्या वो राजनीतिक परंपरा की सारी सीमाएं लांघ रहे हैं ? आशुतोष के साथ चर्चा में सुरेंद्र राजपूत, तूहीन सिन्हा, रशीद किदवई, नरेश कौशिक और राजेश जोशी ।
Satya Hindi news Bulletin सत्य हिंदी समाचार बुलेटिन। ‘इंडिया’ पर मोदी- 'इंडियन मुजाहिदीन को क्यों याद किया । कर्नाटक में सरकार गिराने की साजिश रची जा रही है: डीके शिवकुमार
प्रधानमंत्री मोदी विपक्ष के प्रति इतने कटु क्यों होते जा रहे हैं? क्या विपक्षी दलों के INDIA ने उन्हें विक्षिप्त कर दिया है? क्या हार का डर उन पर इस कदर हावी हो गया है कि वे INDIA को इंडियन मुजाहिदीन और ईस्ट इंडिया कंपनी से जोड़ रहे हैं? या फिर वे एक रणनीति के तहत 2024 के चुनाव को कटुतापूर्ण बनाना चाहते हैं?
INDIA बनना देश की राजनीति के लिये कितनी बड़ी घटना है ? क्या INDIA बनना ही काफ़ी है ? क्या बीजेपी में इसकी वजह से कोई परेशानी है ? क्यों मणिपुर की घटना देश के लिये एक खतरनाक संकेत है ? आशुतोष ने इन मुद्दों पर देश के जान माने बुद्धिजीवी और पूर्व सांसद पवन के वर्मा से बात की