जब सिर्फ़ चार महीने के लॉकडाउन से देश ही नहीं, बल्कि राज्यों की भी अर्थव्यवस्था तबाह हो गई है तो फिर जम्मू-कश्मीर में जहाँ 11 महीने से लॉकडाउन है वहाँ क्या हालत होगी! क्या इसकी कल्पना की जा सकती है?
जम्मू-कश्मीर में पाबंदी लगने के दो महीने बाद भी कश्मीरियों के साथ लगातार हो रही 'क्रूरता' पर अब कई आईआईटी के 132 शिक्षकों, पूर्व छात्रों और छात्रों ने सरकार को चिट्ठी लिखी है।
जम्मू-कश्मीर में पाबंदी लगे 50 दिन से ज़्यादा हो गए, लेकिन लोगों में ख़ौफ़ कम नहीं हुआ है। आख़िर यह परिवारों को डर क्यों लगा रहता है कि कोई घर से बाहर निकले तो वह लौट भी पाएगा या नहीं?
जम्मू-कश्मीर के हालात को लेकर प्रियंका गाँधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि 'राष्ट्रवाद' के नाम पर घाटी के लोगों को चुप कराकर ‘देश विरोधी’ काम किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर में कई तरह की पाबंदियाँ हैं। कश्मीर की स्थिति को लेकर केरल में अखिल भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी कन्नन गोपीनाथन ने क्यों दिया इस्तीफ़ा? क्या आवाज़ दबाई जा रही है?
कश्मीर और कश्मीरी आज ख़बर के विषय हैं पर विडम्बना देखिये, उन्हें अपनी ख़बर भी नहीं मिल रही। क्या ऐसे हालात ‘इमरजेंसी’ में भी थे? तब सेंसरशिप का प्रतिरोध जारी था। आज जैसा संपूर्ण (सरेंडर) नहीं था!
जम्मू-कश्मीर में लगाई गई पाबंदी को अगले कुछ दिनों में हटाया जा सकता है। सरकार ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में सुनवाई के दौरान कहा कि पाबंदी को कुछ दिनों में हटा लिया जाएगा।
जिन कश्मीरियों की बेहतरी और ख़ुशियों के नाम पर अनुच्छेद 370 में फेरबदल किया गया वे ईद की ख़ुशियाँ मना भी पाएँगे या नहीं, इस पर संदेह है। ईद के दिन सुरक्षा में ढील दी जाएगी या नहीं, इस पर रविवार को फ़ैसला लिया जाएगा।