जम्मू-कश्मीर में बंदी यानी लॉकडाउन के दो महीने हो गए। सरकार स्थिति सामान्य होने का दावा करती है। लेकिन ज़मीनी हक़ीकत यह है कि एम्बुलेन्स नहीं बुला पाने या डॉक्टर से संपर्क नहीं कर पाने की वजह से सैकड़ों लोग बेहाल हैं। डायबिटीज़ और कैंसर जैसे रोगों की दवाएँ नहीं मिल रही हैं, क्योंकि स्टॉक ख़त्म हो चुका है, नई सप्लाई नहीं हुई है। ऑनलाइन डिलीवरी बंद होने की वजह से यह उपाय भी बेकाम है। घाटी के सैकड़ों लोग मौत को हराने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं।