लैटरल एंट्री पर मोदी सरकार का सच सामने आ चुका है। विपक्ष और सहयोगी दलों के दबाव पर यूपीएससी के लैटरल एंट्री वाले विज्ञापन को वापस लिया गया और कहा गया कि पीएम मोदी सामाजिक न्याय और आरक्षण को लेकर काफी सजग है। उनके निर्देश पर इस विज्ञापन को वापस लिया जा रहा है और आगे लैटरल एंट्री में इसका ध्यान रखा जाएगा। लेकिन 6 साल पहले इसी सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए दी गई नौकरियों में जो आरक्षण हड़पा है, उसका क्या होगा। क्या सरकार उन नियुक्तियों में हड़पे गए आरक्षण के बदले कुछ कदम उठाएगी। आईएएस जैसी मुश्किल परीक्षा देकर आने वाले युवकों का क्या होगा, लैटरल एंट्री तो उनका भी रास्ता रोकेगी। उसमें तो हर वर्ग के युवक शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने सरकार की हिप्पोक्रेसी का गुरुवार को खुलासा कर दिया है।