छह वर्षो में कितना कुछ बदल गया। ये असर भाजपा को मिली मात्र 240 सीटों का है। शनिवार को अखबारों में यूपीएससी का एक विज्ञापन छपा, जिसमें लैटरल एंट्री के जरिए 45 वरिष्ठ पदों पर नियुक्ति के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे। इन वरिष्ठ पदों पर भारत की आजादी से अब तक सिविल सर्विसेज के जरिए चुने गए या डेपुटेशन पर राज्यों से भेजे गए आईएएस जगह पाते रहे हैं। लेकिन मोदी सरकार ने पिछले दरवाजे से उच्च पदों पर सीधी नियुक्तियों के लिए लैटरल एंट्री का रास्ता खोजा या पुराने को जिन्दा किया। लेकिन इस विज्ञापन को मंगलवार को मोदी सरकार ने खुद वापस ले लिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यूपीएससी का विज्ञापन पीएम मोदी के निर्देश पर वापस लिया गया है। मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि हाशिये पर पड़े लोगों के "सही प्रतिनिधित्व" के लिए "सामाजिक न्याय के प्रति संवैधानिक जनादेश" का हवाला देते हुए पीएम मोदी ने इसे वापस लेने को कहा है।
पर्दाफाशः लैटरल एंट्री में अब दलित सुर, तो 6 साल पहले आरक्षण क्यों हड़पा था
- देश
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- 29 Mar, 2025
लैटरल एंट्री पर मोदी सरकार का सच सामने आ चुका है। विपक्ष और सहयोगी दलों के दबाव पर यूपीएससी के लैटरल एंट्री वाले विज्ञापन को वापस लिया गया और कहा गया कि पीएम मोदी सामाजिक न्याय और आरक्षण को लेकर काफी सजग है। उनके निर्देश पर इस विज्ञापन को वापस लिया जा रहा है और आगे लैटरल एंट्री में इसका ध्यान रखा जाएगा। लेकिन 6 साल पहले इसी सरकार ने लैटरल एंट्री के जरिए दी गई नौकरियों में जो आरक्षण हड़पा है, उसका क्या होगा। क्या सरकार उन नियुक्तियों में हड़पे गए आरक्षण के बदले कुछ कदम उठाएगी। आईएएस जैसी मुश्किल परीक्षा देकर आने वाले युवकों का क्या होगा, लैटरल एंट्री तो उनका भी रास्ता रोकेगी। उसमें तो हर वर्ग के युवक शामिल हैं। इंडियन एक्सप्रेस ने सरकार की हिप्पोक्रेसी का गुरुवार को खुलासा कर दिया है।
