'शार्ली एब्दो' में प्रकाशित कार्टून दिखाने पर शिक्षक सैमुअल पैटी की हत्या कर दी गई। लेकिन क्या इसलाम के लिए कार्टून या फिर उसकी आलोचना करने वाले व इसके पूर्वाग्रही विरोधी घातक हैं?
शार्ली एब्दो के कार्टून विवाद के बीच हिंसा की ख़बरों के बीच ही फ्रांस के लियोन शहर में एक चर्च के बाहर पादरी को गोली मार दी गई। न तो हमलावर की पहचान हो पाई है और न ही हमले के पीछे की वजह का पता चल पाया है।
शार्ली एब्दो के पैगंबर मुहम्मद साहब के कार्टून को लेकर फ़्रांस के शिक्षक की हत्या पर मशहूर शायर मुनव्वर राना ने विवादित बयान दिया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में हिंसा को जायज ठहराया।
फ्रांस उबल रहा है। मुसलिम देश बेचैन हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं- अभिव्यक्ति की आज़ादी का और धार्मिक भावनाएँ आहत होने का। इसकी शुरुआत शार्ली एब्दो के कार्टून से हुआ था। क्या फ्रांस का अभिव्यक्ति की आज़ादी का तर्क सही है?
केंद्र सरकार ने फ्रांस के एक स्कूल में छात्रों को पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाने वाले शिक्षक की हत्या के मामले में फ्रांस का ज़बरदस्त समर्थन किया है, जिससे कई सवाल खड़े होते हैं। सवाल यह है कि क्या इससे भारत को कूटनीतिक व राजनीतिक नुक़सान होगा?
फ्रांस में पैगंबर मोहम्मद के कार्टूनों को लेकर जो हत्याकांड पिछले दिनों हुआ, उसका धुंआ अब सारी दुनिया में फैल रहा है। फ़्रांस सहित कई यूरोपीय देशों में प्रदर्शन हो रहे हैं तो इसलामी राष्ट्र विरोध में हैं।
फ़्रांस में पैगंबर मुहम्मद के विवादित और आपत्तिजनक कार्टून दिखाने को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता से जोड़ने के मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है। इसलामी देशों ने फ्रांसीसी उत्पादों के बहिष्कार की अपील कर दी है।
फ्रांस में कुछ दिन पहले एक अध्यापक की सर काट कर की गई हत्या ने फ्रांस को ही नहीं, पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। कितना ही गंभीर धार्मिक अपमान या ईशनिंदा क्यों न हो, क्या हिंसा किसी भी तरह जायज़ ठहराई जा सकती है?
पेरिस के एक उपनगर में पैगंबर मुहम्मद का कार्टून दिखाने के कारण इतिहास की एक शिक्षिका की गर्दन काट दी गई। वहाँ पहुँची पुलिस ने हमलावर पर गोलियाँ चलाईं, जिससे उसकी वहीं मौत हो गई। हमवलावर 18 साल का किशोर बताया जाता है।
फ्रांसीसी पत्रिका शार्ली एब्दू ने हज़रत मोहम्मद के पंद्रह साल पुराने कार्टूनों को फिर छापा है। ज़ाहिर है कि इससे बावेला मच गया है। पेश है इस विवाद के विभिन्न पहलुओं को खँगालती वरिष्ठ पत्रकार मुकेश कुमार की रिपोर्ट
इस कार्टून को छापे जाने को लेकर ही 7 जनवरी, 2015 को शार्ली एब्दू के पेरिस स्थित दफ़्तर पर इसलामी चरमपंथी दो सगे भाइयों सईद और शरीफ़ कुआशी ने हमला कर दिया था।