फ्रांस उबल रहा है। मुसलिम देश बेचैन हैं। अब चिंता की बात पूरी दुनिया के लिए है। फ्रांस और मुसलिम देश एक-दूसरे के ख़िलाफ़ आ गए हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं- अभिव्यक्ति की आज़ादी का और धार्मिक भावनाएँ आहत होने का। इसकी शुरुआत शार्ली एब्दो के कार्टून से हुआ था। यह एक फ्रांसीसी व्यंग्य छापने वाली साप्ताहिक पत्रिका है। इसने मुहम्मद साहब का कार्टून छापा था। क़रीब 9 साल पहले इस कार्टून के छपने का विवाद हिंसा का रूप ले चुका है। ऐसा लगता है कि अब इसलाम और ईसाई धर्म आमने-सामने आ गए हैं। आख़िर यह विवाद क्या है? क्या फ्रांस का अभिव्यक्ति की आज़ादी का तर्क सही है? क्या शार्ली एब्दो जानबूझकर मुहम्मद साहब का कार्टून छाप कर विवाद पैदा कर रहा है? फ्रांस में किस तरह की व्यवस्था है?