शार्ली एब्दो के कार्टून विवाद और हिंसा की ख़बरों के बीच ही फ्रांस के लियोन शहर में एक चर्च के बाहर पादरी को गोली मार दी गई। इस हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। लेकिन न तो हमलावर की पहचान हो पाई है और न ही हमले के पीछे की वजह का पता चल पाया है। फ्रांस के नीस शहर में दो दिन पहले ही एक चर्च में चाकू से किए गए हमले में तीन लोगों की जान चली गई थी। इससे पहले एक शिक्षक की हत्या कर दी गई थी। यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब फ्रांस में पैगंबर मुहम्मद साहब के कार्टून बनाने का विवाद चल रहा है। इसको लेकर फ्रांस और मुसलमान व मुसलिम देश आमने-सामने आ गये हैं।
ताज़ा हमले में घायल पादरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। एएफ़पी की रिपोर्ट में पुलिस सूत्र और प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से कहा गया है कि 52 वर्षीय एक ग्रीक नागरिक निकोलोस काकावलाकी शनिवार को मध्य दोपहर लियोन में अपने चर्च को बंद कर रहे थे। तभी एक बंदूक़धारी ने पादरी के सीने में दो गोलियाँ दागीं।
रिपोर्टों में कहा गया कि तब हमलावर भाग गया लेकिन लियोन के सरकारी वकील ने बाद में घोषणा की कि एक संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया।
रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि हमलावर अकेला था और उसने शिकार करने वाली राइफल से गोली चलाई। फ़िलहाल हमले के पीछे की वजहों का पता नहीं चल पाया है।
लियोन मेयर ग्रेगरी डकेट ने घटनास्थल पर संवाददाताओं से कहा कि वह न तो किसी भी सिद्धांत के पक्ष में हैं और न ही वह किसी भी सिद्धांत को खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, 'हम इस स्तर पर इस हमले का मक़सद नहीं जानते हैं।'
BREAKING!!! Terrorist Attack again in a Church
— Amy Mek (@AmyMek) October 31, 2020
Lyon, France:
An Orthodox priest of Greek nationality was targeted & shot while he was closing his church
The terrorist is on the run!
How many more must die or be injured before the world admits there is a problem - How many!? pic.twitter.com/ACOEOZ8RbP
इससे पहले गुरुवार को एक चर्च में चाकू से किए गए हमले में तीन लोगों की मौत हो गई थी। एएफ़पी के मुताबिक़, नीस शहर के हमलावर की पहचान ट्यूनीशिया के नागरिक के रूप में हुई है। हमलावर फ्रांस के चर्च में हाथ में कुरान की कॉपी और चाकू लेकर घुसा था और फिर उसने तीन लोगों की हत्या कर दी थी।
रिपोर्टों में कहा गया है कि हमलावर एक ट्यूनीशियाई नागरिक है जो 1999 में पैदा हुआ था। वह हमला करने के लिए हमलावर इटली के रास्ते आया।
फ़्रांस में हाल के दिनों में ऐसे हमले को लेकर आशंकाएँ बढ़ी हैं। यह इसलिए कि शार्ली एब्दो के पैगंबर मुहम्मद साहब के कार्टून बनाने के बाद से फ़्रांस और मुसलिम देश आमने सामने हैं। दोनों के अपने-अपने तर्क हैं- अभिव्यक्ति की आज़ादी का और धार्मिक भावनाएँ आहत होने का। इसकी शुरुआत शार्ली एब्दो के कार्टून से हुआ था। यह एक फ्रांसीसी व्यंग्य छापने वाली साप्ताहिक पत्रिका है। इसने मुहम्मद साहब का कार्टून छापा था। क़रीब 9 साल पहले इस कार्टून के छपने का विवाद हिंसा का रूप ले चुका है। ऐसा लगता है कि अब इसलाम और ईसाई धर्म आमने-सामने आ गए हैं। अब चिंता की बात पूरी दुनिया के लिए है।
इस मामले में न तो फ़्रांस झुकने को तैयार है और न ही मुसलिम। फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों ने कहा कि देश में हर व्यक्ति को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। उन्होंने कहा कि हम किसी भी तरह के कार्टून और डिज़ाइन पर रोक नहीं लगाएँगे, यह देश का क़ानूनी अधिकार है। फ़्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने साफ़ किया कि वह कार्टून और डिज़ाइन का त्याग नहीं करेंगे और संगीत, साहित्य, कला, व संस्कृति को लगातार इसी तरह आगे बढ़ाते रहेंगे जिस तरह से फ्रांस की संस्कृति रही है। इधर, पत्रिका शार्ली एब्दो का स्वभाव उत्तेजक है। यह घोर वामपंथी पत्रिका है। इसमें इसी तरह की उत्तेजक सामग्री छपती रही है। इसमें न सिर्फ़ इसलाम के लिए बल्कि कैथोलिक के लिए भी ऐसी ही सामग्री छपती रही है और मज़ाक़ भी उड़ाया जाता रहा है।
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