स्विंग राज्य यानी वे राज्य जो भले ही स्थानीय स्तर पर पारंपरिक रूप से किसी एक पार्टी को वोट करते रहे हों, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उनका वोटिंग पैटर्न बदल जाता हो। मसलन इन 12 राज्यों के अलावा बाकी राज्यों का पैटर्न तय है कि वे राष्ट्रपति चुनावों में या तो डेमोक्रेट को वोट करेंगे या रिपब्लिकन को, लेकिन इन 12 राज्यों में हमेशा अलग अलग पैटर्न सामने आते रहे हैं।
जे सुशील अमेरिका से
अमेरिका के 50 राज्यों में से कुछ राज्य ऐसे हैं जो असल में राष्ट्रपति चुनाव का परिणाम तय करते हैं। राज्यों के वोटिंग पैटर्न की जानकारी देने वाली सबसे विश्वसनीय मानी जाने वाली कुक पॉलिटिकल रिपोर्ट के अनुसार, इस बार ऐसे 12 राज्य हैं जो चुनाव में किसी भी दिशा में जा सकते हैं और इसी आधार पर तय हो सकता है कि डोनल्ड ट्रंप जीतेंगे या फिर जो बाइडेन।
चुनाव से पहले हो रहे सभी सर्वेक्षणों में भले ही बाइडेन को 7 से 8 अंकों की बढ़त मिली हुई हो, लेकिन चुनाव के दिन तक इन ख़ास राज्यों में होने वाली वोटिंग से स्थिति बदलती रही है। पिछले चुनाव यानी 2016 में यही हुआ था जब ट्रंप ने आख़िरी हफ्ते में इन राज्यों में बढ़त बना ली थी और आखिरकार इलेक्टोरल कॉलेज के लिए निर्धारित वोट जीत लिए थे।
चुनावी भाषा में इन्हें ‘स्विंग स्टेट’ या ‘बैटलग्राउंड स्टेट’ कहा जाता है। ये राज्य हैं एरिज़ोना, फ्लोरिडा, जॉर्जिया, आयोवा, मिशीगन, मिनेसोटा, न्यू हैंपशायर, नॉर्थ कैरोलाइना, ओहायो, पेनसिलवेनिया, टेक्सास और विस्कोन्सिन।
स्विंग राज्य यानी वो राज्य जो भले ही स्थानीय स्तर पर पारंपरिक रूप से किसी एक पार्टी को वोट करते रहे हों, लेकिन राष्ट्रपति चुनाव में उनका वोटिंग पैटर्न बदल जाता हो।
मसलन इन 12 राज्यों के अलावा बाकी राज्यों का पैटर्न तय है कि वे राष्ट्रपति चुनावों में या तो डेमोक्रेट को वोट करेंगे या रिपब्लिकन को, लेकिन इन 12 राज्यों में हमेशा अलग अलग पैटर्न सामने आते रहे हैं।
पॉपुलर वोट
इन राज्यों की वोटिंग के बारे में ये भी ध्यान रखना चाहिए कि राज्यों में जो पार्टी पॉपुलर वोट जीतेगा उसी के आधार पर इलेक्टोरल कॉलेज के वोट तय होते हैं। कुल 538 वोटों में जीत के लिए 270 वोट लाने वाला ही राष्ट्रपति बनता है, भले ही उसे पॉपुलर वोट कम मिले हों।
जो बाइडन, राष्ट्रपति उम्मीदवार, डेमोक्रेट
पॉपुलर वोट हार कर इलेक्टोरल कॉलेज वोट से राष्ट्रपति बनने की सबसे ताज़ा घटना 2016 की है जब हिलेरी क्लिंटन को ट्रंप की तुलना में करीब बीस लाख अधिक वोट मिले थे, लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज में वह ट्रंप से बुरी तरह हार गईं।
एरिज़ोना-फ़्लोरिडा
फिलहाल इन चुनावों की बात की जाए तो एरिज़ोना आम तौर पर रिपब्लिकन रहा है। पिछले दो राष्ट्रपति चुनावों में एरिज़ोना ने रिपब्लिकन उम्मीदवार को ही वोट दिए हैं, लेकिन फ़्लोरिडा का मामला देखिए।
फ्लोरिडा ने 2016 के चुनावों में ट्रंप को 29 इलेक्टोरल कॉलेज वोट दिए थे, जबकि इससे पहले 2012 में फ़्लोरिडा ने अपने सारे वोट ओबामा को दिए थे जबकि वो अलग पार्टी के थे। फिलहाल फ़्लोरिडा के सर्वेक्षणों में बाइडेन को ट्रंप के ख़िलाफ़ एक अंक की मामूली बढ़त है।
जॉर्जिया
जॉर्जिया राज्य जहाँ सर्वेक्षणों में बाइडेन को एक अंक की बढ़त है, वहाँ इलेक्टोरल कॉलेज के 16 वोट हैं जो 2012 और 2016 रिपब्लिकन पार्टी को मिले थे, लेकिन इस बार बाइडेन कड़ी टक्कर दे रहे हैं।
इन सभी 12 राज्यों के वोटिंग पैटर्न को देखा जाए तो यह हमेशा बदलता रहा है और यही कारण है अभी भी राष्ट्रपति चुनाव में कोई यह नहीं कह पा रहा है कि कौन उम्मीदवार जीत पाएगा।
मिनेसोटा-मिशिगन
यहाँ एक और पैटर्न देखा जा सकता है कि इनमें से जिन राज्यों में मुक़ाबला काँटे का है उन राज्यों में दोनों उम्मीदवार लगातार कैंपेनिंग कर रहे हैं। डोनल्ड ट्रंप तो खैर मई के महीने से ही मिशीगन, मिनेसोटा जैसे राज्यों को लेकर कड़े बयान दे रहे हैं।
याद दिला दें कि अप्रैल के महीने में ट्रंप ने तीन ट्वीट किए थे। ‘लिबरेट मिनेसोटा’, ‘लिबरेट मिशीगन’ और ‘लिबरेट वर्जिनीया’। इसमें से मिनेसोटा और मिशीगन में डेमोक्रेट गवर्नर हैं और ये दोनों ही राज्य स्विंग स्टेट हैं, यानी यहाँ संभावना है कि ट्रंप को भी वोट मिल जाएँ।
ट्रंप के इन ट्वीट्स के बाद मिशीगन में बड़े पैमाने पर हथियारबंद प्रदर्शन हुए थे। ये प्रदर्शन करने वाले वो लोग थे जो कह रहे थे कि कोरोना के कारण व्यवसायों को बंद न किया जाए और दुकानें खोली जाएँ। ये वही प्रदर्शन थे जिसमें हथियार लेकर लोग मिशीगन की स्टेट असेंबली में घुस आए थे।
इतना ही नहीं, मिशीगन के गवर्नर को अगवा करने की एक साजिश का पर्दाफाश भी एफ़बीआई ने किया है। हालांकि इस साजिश का सीधा सीधा कोई संबंध रिपब्लिकन पार्टी से तो नहीं मिला है, लेकिन ये साजिश रचने वाले राइट विंग का समर्थन करने वाले ही माने जा रहे हैं। कहने का मतलब है यह है कि इन स्विंग स्टेट्स में वोटों की लड़ाई के सारे दांव- पेच आज़माए जा रहे हैं।
विस्कॉन्सिन
विस्कॉन्सिन भी ऐसा ही राज्य है जहाँ 'ब्लैक लाइव मैटर्स' को लेकर हो रहे प्रदर्शनों के दौरान एक गोरा युवक घुस आया था और उसने गोली चलाई थी जिसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। जानकार मानते हैं कि इस तरह की घटनाओं से वोटों का ध्रुवीकरण होता है।
राष्ट्रपति ट्रंप विस्कॉन्सिन जा चुके हैं, लेकिन वहां जाने के बाद भी उनके बयान भड़काऊ ही बने रहे। शायद यही कारण है कि फिलहाल विस्कॉन्सिन में बाइडेन को ट्रंप की अपेक्षा सर्वेक्षणों में 7 अंकों की बढ़त मिली हुई है, जबकि विस्कॉन्सिन ने पिछले चुनावों में हिलेरी को एक भी इलेक्टोरल कॉलेज वोट नहीं दिए थे।
टेक्सस
अधिक इलेक्टोरल कॉलेज वोटों वाला एक और बड़ा राज्य टेक्सस है जहाँ 38 वोट हैं। इनमें से कोई भी वोट हिलेरी को नहीं मिला था। इतना ही नहीं, इस राज्य ने उस समय भी रिपब्लिकन पार्टी को वोट किया था जब ओबामा राष्ट्रपति होते हुए दूसरे टर्म के लिए चुनाव में थे। अभी भी टेक्सस में ट्रंप को तीन अंकों की बढ़त मिली हुई है।
आयोवा
आयोवा राज्य जहाँ फिलहाल बाइडेन कड़ी टक्कर दे रहे हैं और एक अंक से आगे हैं, वह पूर्व में बराक ओबामा को दो बार समर्थन दे चुका है लेकिन हिलेरी के ख़िलाफ़ रहा है। इस बार बताना मुश्किल है कि आयोवा कौन सी राह लेगा। सर्वेक्षणों के अनुसार इस बार आयोवा ट्रंप के साथ जा सकता है।
मिनेसोटा जिसे लेकर ट्रंप खतरनाक ट्वीट कर चुके हैं, वह फ़िलहाल बाइडेन को पांच अंकों की बड़ी बढ़त दिए हुए है। यह राज्य पिछले तीन चुनावों में डेमोक्रेट रहा है, लेकिन उससे पहले रिपब्लिकन पार्टी का भी समर्थन कर चुका है।
न्यू हैंपशायर-नार्थ कैरोलाइना
न्यू हैंपशायर ने भी बाइडेन को 11 अंकों की बढ़त दी हुई है और पिछले तीन चुनावों में डेमोक्रेट रहा है, लेकिन यहाँ इलेक्टोरल कॉलेज की मात्र 4 सीटें हैं। नार्थ कैरोलाइना में बाइडेन को एक अंक की बढ़त है, मगर इलेक्टोरल सीटें हैं 15। नार्थ कैरोलाइना ने हिलेरी को समर्थन नहीं दिया था, लेकिन उससे 2012 में वह रिपब्लिकन पार्टी के साथ और उससे पहले 2008 में ओबामा के साथ जा चुका है।
कमला हैरिस, उप राष्ट्रपति उम्मीदवार, डेमोक्रेट
सबसे कड़ा मुकाबला है ओहायो में, जहाँ के गवर्नर भी रिपब्लिकन पार्टी के हैं। यहाँ दोनों ही उम्मीदवारों को सर्वेक्षणों में बराबर अंक मिले हैं और इलेक्टोरल कॉलेज के वोट हैं 18। जो बराक ओबामा को जा चुके हैं दो बार और एक बार ट्रंप को।
पेनसिलवेनिया
आखिरी स्विंग स्टेट पेनसिलवेनिया में बाइडेन को 3 अंक की बढ़त है और इलेक्टोरल सीटें हैं 20। देखना है कि दो बार बराक़ ओबामा और एक बार ट्रंप के साथ जाने वाला यह स्टेट इस बार बाइडेन को समर्थन करता है या ट्रंप के साथ जाता है।
अगर चुनाव सर्वेक्षणों का हिसाब किया जाए तो फ्लोरिडा, जॉर्जिया, आयोवा, नॉर्थ कैरोलाइना, ओहायो और टेक्सस के रिपब्लिक होने की संभावना है। दूसरी ओर, विस्कॉन्सिन, पेनसिलवेनिया, न्यू हैंपशायर, मिनेसोटा, मिशीगन और एरिज़ोना के डेमोक्रेट होने की संभावना है।
यानी टक्कर अभी भी बराबर की चल रही है। चूंकि हर राज्य के इलेक्टोरल वोटों की संख्या अलग- अलग है और हर राज्य का इलेक्टोरल वोटर अपने हिसाब से वोट बदल भी सकता है, इसलिए यह कहना असंभव है कि फिलहाल कौन सा उम्मीदवार जीत सकता है।
क्या डोनल्ड ट्रंप राष्ट्रपति चुनाव हार रहे हैं, देखें वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष का क्या कहना है।
इलेक्टोरल वोट
पिछले चुनावों में हिलेरी के 5 इलेक्टोरल वोट रिपब्लिकन पार्टी को चले गए थे क्योंकि हर राज्य के इलेक्टोरल वोटर के लिए नियम अलग अलग होते हैं कि वो कैसे वोट करेगा। लेकिन मोटे तौर पर यह समझा जा सकता है कि 3 नवंबर को वोटिंग और अगले कुछ दिनों में मतगणना में यह तो कम से कम स्पष्ट हो जाएगा कि किस राज्य ने कितने इलेक्टोरल वोट दिए हैं।
उम्मीदवारों को और उसके आधार पर एक स्पष्ट रुझान का अंदाजा भी मिल जाएगा। हालांकि अंदेशा यह भी है कि पोस्ट बैलेट की बड़ी संख्या के कारण मतगणना में समय लगेगा।
फिलहाल करीब 70 लाख लोग अलग- अलग तरीकों से वोट कर चुके हैं और मतदान केंद्रों पर लंबी लाइनें अभी से दिख रही हैं, क्योंकि यहां लोग किसी भी दिन जाकर वोट कर सकते हैं। हर राज्य के नियम अलग हैं, लेकिन वोटिंग की अंतिम तारीख तीन नवंबर है यानी उस दिन के बाद वोट नहीं डाले जा सकेंगे।
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जे सुशील अमेरिका से
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