पंजाब के फतेहगढ़ साहिब जिले में स्थापित विशाल गुरुद्वारे में दिसंबर महीने के इन दिनों देश-विदेश से बड़ी तादाद में सिख श्रद्धालु और अन्य समुदाय से वाबस्ता लोग आते हैं। गुरुद्वारे के मुख्य द्वार पर लगी तस्वीरों में से एक तस्वीर एक 'मुसलमान' की है। जी हां- उस मुसलमान की जिसे सिख समुदाय और इतिहास में बेहद आदर हासिल है। इस तस्वीर में नजर आने वाला चेहरा मलेरकोटला के 1704 ईस्वी में नवाब रहे शेर मोहम्मद खान का है।

शेर मोहम्मद खान की बदौलत मलेरकोटला का नाम दुनिया भर में सिख इतिहास पर लिखी गई बेशुमार भाषाओं की किताबों में बाकायदा पूरे तथ्यों के साथ शुमार है। पढ़िए, मलेरकोटला के इतिहास से जुड़ी बेहद जरूरी जानकारी।
आने वाले लोग इस तस्वीर के आगे भी नतमस्तक होते हैं और अपने-अपने ढंग से शुकराना अदा करते हैं।
शेर मोहम्मद खान की बदौलत मलेरकोटला का नाम दुनिया भर में सिख इतिहास पर लिखी गई बेशुमार भाषाओं की किताबों में बाकायदा पूरे तथ्यों के साथ शुमार है। 1947 में भारत-पाक विभाजन हुआ तो दोनों तरफ के पंजाब में हुए नरसंहार में 10 लाख से ज्यादा हिंदू/सिख-मुसलिम मारे गए और इससे दोगुनी संख्या में पलायन हुआ। भारतीय पंजाब भी पूरी तरह से खून-खराबे की जद में रहा। सिवाय मलेरकोटला के पूरे सूबे में जबरदस्त मारकाट और हिजरत हुई।