नागरिकता क़ानून, एनआरसी जैसे मुद्दों को लेकर ट्विटर पर पोल करने और फिर उस पोल को डिलीट करने पर कई सवाल खड़े किए जा रहे हैं। सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या पोल के परिणाम नागरिकता क़ानून या एनआरसी के पक्ष में नहीं आए इसलिए इन्हें डिलीट किया जा रहा है? क्या इन पोल के नतीजे पक्ष में आते दिखते तो इन्हें किस तरह पेश किया जाता?
ऐसा ही एक पोल ईशा फ़ाउंडेशन ने ट्विटर पर शुरू किया था। फ़ाउंडेशन ने इसमें पूछा था, 'क्या आपको लगता है कि CAA और NRC के ख़िलाफ़ प्रदर्शन ठीक है?'
ट्वीट के डिलीट किए जाने से पहले जब स्क्रीनशॉट लिया गया था तब तक 62 फ़ीसदी लोगों ने प्रदर्शन को ठीक माना और सिर्फ़ 38 फ़ीसदी लोगों ने इसे ठीक नहीं माना था।
Poll post deleted by @ishafoundation dosto. Hum jeet gaye .jpg 😂😂😂 https://t.co/IzGgYREhoC pic.twitter.com/rJG1j29tA9
— Veer Rofl Gandhi 2.0 (@RoflGandhi_) December 30, 2019
ईशा फ़ाउंडेशन ख़ुद को ग़ैर धार्मिक, ग़ैर लाभकारी, जन सेवा संगठन और योग के माध्यम से मानवता की सेवा करने वाला बताता है। यह फ़ाउंडेशन नागरिकता क़ानून का खुलकर समर्थन करने वाले सद्गुरु की तसवीरें, उनके कथन और उनसे जुड़ी ख़बरों को भी ट्वीट करते रहा है।
ऐसा ही एक पोल 'सीएनबीसी-आवाज़' ने भी ट्विटर पर कराया था। इसमें सवाल पूछा गया था, 'मोदी 2.0 के कामकाज से आप ख़ुश हैं?' जब तक यह स्क्रीनशॉट लिया गया तब तब तक 62 फ़ीसदी लोगों ने मोदी 2.0 के कामकाज से नाख़ुशी ज़ाहिर की और सिर्फ़ 38 फ़ीसदी लोगों ने ख़ुशी ज़ाहिर की। ट्विटर यूज़र 'Veer Rofl Gandhi 2.0' ने इस ट्वीट के स्क्रीनशॉट को ट्वीट करते हुए लिखा कि 'ज़्यादा बाण मार दिए आपने तो इनको, सीएनबीसी की आवाज़ ही बंद हो गई...'।
So @CNBC_Awaaz has showed that it wanted only BJP's side result.
— SS (@shubh_ind) December 30, 2019
They lost the poll and hence deleted it. Now they won't show that majority Indians are against CAA & NRC in their poll.
Godi Media at its best !
Veer Rofl Gandhi 2.0 ने 'दैनिक जागरण' के एक ऐसे ही ट्विटर पोल पर भी तंज कसे हैं और लिखा है कि अब सारे बाण इधर मारो। 'दैनिक जागरण' ने पोल में पूछा है, 'क्या सीएए का विरोध वोट बैंक की राजनीति का नतीजा है?'
इस पर ख़बर लिखे जाने तक क़रीब एक लाख सात हज़ार लोगों ने वोट दिया जिसमें से 52 फ़ीसदी ने कहा है कि सीएए का विरोध वोट बैंक की राजनीति नहीं है। सिर्फ़ 46 फ़ीसदी ने ही इसे राजनीति माना है। इस पर 'ऐसी तैसी डेमोक्रेसी' नाम के ट्विटर यूज़र ने प्रतिक्रिया में पोल कर तंज कसा है कि 'यह पोल कितनी देर में डिलीट होगा?'
Ye poll kitni der mein delete hoga?
— Aisi Taisi Democracy (@AisiTaisiDemo) December 30, 2019
ज़ी न्यूज़ के एंकर सुधीर चौधरी ने भी एक ऐसा ही पोल शुरू किया है। इसमें उन्होंने पूछा है, 'क्या आप नागरिकता संशोधन क़ानून का समर्थन करते हैं?' इसमें चार लाख से ज़्यादा लोगों ने वोट किया है। ख़बर लिखे जाने तक 52 फ़ीसदी ने समर्थन नहीं किया है और सिर्फ़ 42 फ़ीसदी ने ही समर्थन में 'हाँ' पर वोट किया है।
Let’s make a new start as the year ends. Let’s eliminate the contractors of opinion. Let’s have India speak its mind minus self-appointed spokespersons.I’m starting a weekly poll on issues that touch your life. Question of this week:
— Sudhir Chaudhary (@sudhirchaudhary) December 24, 2019
Do you support the Citizenship Amendment Act?
कई पोल कराने और इसके बाद उन पोलों को डिलीट किए जाने की कई लोगों ने आलोचना की है। इस पर तंस कसते हुए पत्रकार रोहिणी सिंह ने भी एक पोल किया है। इसमें उन्होंने लिखा, 'जिस तरह सारे पोल डिलीट हो रहे हैं, उसके पीछे क्या है कारण'। इसमें उन्होंने चार विकल्प दिए हैं। 33 फ़ीसदी लोगों ने वोट दिया- फ़ोन आया, डिलीट करो। 27 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- देखी नहीं गयी हार। 26 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- सोचा नहीं था ऐसा। 14 फ़ीसदी लोगों ने वोट किया- डर गए, डिलीट कर दिया।
जिस तरह सारे पोल डिलीट हो रहे हैं,उसके पीछे क्या है कारण
— Rohini Singh (@rohini_sgh) December 30, 2019
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