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बीसीसीआई अध्यक्ष सौरव गांगुली की एक घोषणा के बाद अटकलें लगाई जाने लगीं कि वह राजनीति में तो शामिल नहीं होंगे? ऐसा कयास ख़ासकर इसलिए भी लगाया जाने लगा कि हाल ही में उन्होंने अमित शाह को अपने घर खाने पर आमंत्रित किया था।
इसके साथ ही सौरव गांगुली की नयी पारी को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे। दरअसल, इसका संकेत खुद गांगुली ने ही दिया जब उन्होंने एक ट्वीट में कहा कि वह अपनी ज़िंदगी का नया अध्याय शुरू करने की योजना बना रहे हैं। हालाँकि उन्होंने यह साफ़ नहीं किया कि वह नया अध्याय किस रूप में होगा। उन्होंने ट्वीट में लिखा है, 'आज मैं कुछ ऐसा शुरू करने की योजना बना रहा हूँ जो मुझे लगता है कि शायद बहुत से लोगों की मदद करेगा। मुझे आशा है कि आप अपना समर्थन जारी रखेंगे क्योंकि मैं अपने जीवन के इस अध्याय में प्रवेश कर रहा हूं।'
— Sourav Ganguly (@SGanguly99) June 1, 2022
उन्होंने ट्वीट में लिखा, '1992 में क्रिकेट के साथ मेरी यात्रा की शुरुआत के बाद से 2022 में 30वां वर्ष है। तब से क्रिकेट ने मुझे बहुत कुछ दिया है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि इसने मुझे आप सभी का समर्थन दिया है। मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं जो यात्रा का एक हिस्सा रहा, मेरा समर्थन किया, और मुझे आज जहां मैं हूं वहां पहुंचने में मदद की।'
उनके इस ट्वीट के बाद कयास लगाया जाने लगा कि क्या वह राजनीति में करियर आजमाना चाहते हैं? ऐसा इसलिए भी कि गांगुली ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को कोलकाता में अपने आवास पर रात्रिभोज आयोजित किया था। अमित शाह के साथ डिनर से पहले गांगुली ने कहा था, 'मैं उन्हें 2008 से जानता हूं। मैं उनके बेटे के साथ काम करता हूं। वह हमारे घर आ रहे हैं, और हमारे साथ खाना खाएंगे।'
जैसे ही बंगाल की सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के नेताओं ने अमित शाह के साथ उस रात्रिभोज को लेकर अपनी नाराजगी जताई, सौरव गांगुली ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ अपने करीबी संबंधों के बारे में बात की और उन्होंने तृणमूल नेताओं की भी प्रशंसा की।
गांगुली ने संवाददाताओं से कहा था, 'हमारी माननीय मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मेरी बहुत क़रीबी हैं। मैंने उनसे इस संस्थान की मदद के लिए संपर्क किया था।'
उन्होंने तब बीजेपी में शामिल होने की अटकलों को भी खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, 'अटकलें चल रही हैं, लेकिन मैं उन्हें 2008 से जानता हूं। खेलते समय मैं उनसे मिलता था। इससे ज़्यादा और कुछ नहीं है।'
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