वैधानिक चेतावनीः प्रस्तुत व्यंग्य में वर्णित स्थान, काल, पात्र एवं घटनाएं पूर्णत: काल्पनिक हैं, इनका किसी व्यक्ति, दल या संस्था विशेष से कोई संबंध नहीं है। हालाँकि जिस काल और परिस्थितियों में हम रह रहे हैं, उसमें कहीं कोई मेल या समानता दिखे तो यह बहुत स्वाभाविक है, लेकिन इसे संयोग मात्र ही माना जाना चाहिए।
उलटबांसीः मत-मत में हैं राम बसे
- व्यंग्य
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- 29 Mar, 2025

किसी देश का महाबली अपने मतदाताओं को संबोधित कर रहा है। वो अपने संबोधन में क्या-क्या कहता है, जानिए। देश के मौजूदा हालात पर देश के जाने-माने पत्रकार मुकेश कुमार का यह व्यंग्य बहुत सामयिक है। पढ़िए और पढ़ाइएः