हैदराबाद बलात्कार-हत्या और मुठभेड़ कांड के बाद देश में अपराध और सज़ा का एक ‘खास विचार’ धड़ल्ले से प्रचारित किया जा रहा है। इस विचार के प्रचार-प्रसार में मंत्री से संतरी, संपादक से सांसद और आम लोग तक शामिल दिख रहे हैं। अब से सात साल पहले दिल्ली के निर्भया-कांड के समय भी इस तरह के विचार आए थे।

अगर यूरोप और एशिया के कई मुल्कों में आज अपराध कम हैं तो इसलिए कि वहाँ एक अपेक्षाकृत प्रौढ़ शासन तंत्र है, पारदर्शी और सुसंगत न्याय-व्यवस्था है, समाज में विषमता, उत्पीड़न, भेदभाव और अन्याय को काफी हद तक कम किया गया है। ऐसे मुल्कों में डेनमार्क, ऑस्ट्रिया, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, नार्वे, स्वीडेन, फ्रांस, आइसलैंड, जापान, लक्जमबर्ग, सिंगापुर और फिनलैंड आदि शामिल हैं।