नागरिकता संशोधन विधेयक (कैब)-विरोधी छात्र-युवा आंदोलन से शुरू हुआ यह अभियान अब हर दृष्टि से एक राष्ट्रीय आंदोलन बन गया है। इस राष्ट्रीय आंदोलन की शुरुआत अबकी बार असम से हुई है और फिर यह दिल्ली होते हुए पूरे देश में फैलता नज़र आ रहा है। दक्षिण से लेकर उत्तर और पूरब से पश्चिम तक, देश का कोई प्रमुख प्रांत या इलाक़ा नहीं, जहाँ इस आंदोलन की लहरें न उठी हों! शुरू में सत्ताधारी दल, उसके नेताओं-समर्थकों और मुख्यधारा मीडिया के बड़े हिस्से ने, जिसे इन दिनों देश में ‘गोदी मीडिया’ के नाम से जाना जाता है, इस राष्ट्रीय जन-अभियान को सिर्फ़ एक ‘समुदाय (मुसलिम)-केंद्रित’ बताने और बनाने की कोशिश की लेकिन इस आंदोलन का सच इतना ताक़तवर था कि वह सत्ता और ‘गोदी मीडिया’ के झूठ से नहीं बदला जा सका। बीते कुछ सप्ताहों में इस जन-आंदोलन में गिरफ़्तार किये गए लोगों की सूची देखने से भी साफ़ हो जाता है कि यह किसी एक जाति, बिरादरी या समुदाय का आंदोलन न होकर समूचे देश और समाज का आंदोलन बन चुका है।