यूपी में एमएलसी (विधान परिषद) चुनाव होने जा रहे हैं। विधान परिषद में सपा की ज्यादा सीटें हैं। लेकिन पार्टी ने जो 16 प्रत्याशी घोषित किए हैं, उनमें 14 यादव हैं। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने नई सपा के दौर में सभी को साथ लेकर चलने और सिर्फ यादव पार्टी नहीं बने रहने पर जोर दिया था, लेकिन जब मौका आया तो उन्होंने 14 यादवों को टिकट दिया है। अखिलेश या सपा की सूची में सिर्फ दो मुस्लिम नाम जगह पा सके हैं।
हालांकि मौजूदा समय में विधान परिषद में सपा के पास सबसे अधिक 48 सीटें हैं, जबकि बीजेपी के पास 36 सीटें हैं। वैसे अब सपा के 8 एमएलसी बीजेपी में चले गए हैं। वहीं, बसपा का एकमात्र एमएलसी भी बीजेपी में शामिल हो गया है। बीजेपी इस बार के विधान परिषद चुनाव में ज्यादा से ज्यादा सीटें हासिल कर उच्च सदन में बहुमत हासिल करने की कोशिश करेगी।
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मीडिया रपटों के मुताबिक अखिलेश यादव ने राजेश यादव (बाराबंकी), मनोज यादव (जौनपुर), उमेश यादव (वाराणसी), अमित यादव (पीलीभीत-शाहजहांपुर), विजय बहादुर यादव (प्रतापगढ़), दिलीप सिंह यादव (आगरा-फिरोजाबाद), रजनीश यादव (महाराजगंज-गोरखपुर), संतोष यादव (बस्ती-सिद्धार्थनगर), हीरालाल यादव (फैजाबाद), राकेश कुमार यादव (मऊ आजमगढ़), सुनील कुमार सिंह यादव साजन (लखनऊ उन्नाव), वासुदेव यादव (इलाहाबाद),श्याम सुंदर सिंह यादव (झांसी-जालौन-ललितपुर) को टिकट दिया है।
इस सूची में दो मुसलमान नाम भी दिख रहे हैं, जिनमें डॉ कफील खान (देवरिया कुशीनगर) और मशकूर अहमद (रामपुर बरेली)। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ कफील खान गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन सिलेंडर की कमी के कारण कई बच्चों की मौत के बाद 2017 में पहली बार सुर्खियों में आए थे, जहां उन्होंने बाल रोग विशेषज्ञ के रूप में काम किया था। जो अन्य सपा की सूची में हैं, वे अनुराग वर्मा (खीरी), वीरेंद्र शंकर सिंह (रायबरेली)। कुछ नामों की घोषणा अभी बाकी है।
यूपी विधान परिषद की 36 सीटों के लिए स्थानीय निकाय के कोटे से 9 अप्रैल को एमएलसी का चुनाव होना है। वोटों की गिनती 12 अप्रैल को होगी। राज्य के सभी प्रमुख दलों ने नामों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। उम्मीदवारों की नामांकन प्रक्रिया भी शुरू हो गई है।
यूपी एमएलसी चुनाव के लिए नामांकन दो चरणों में होगा। पहले चरण में 30 सीटों के लिए 15 मार्च से 19 मार्च तक फॉर्म भरे जा सकेंगे और 21 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी, जबकि 23 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे। दूसरे चरण में शेष के लिए नामांकन पत्र दाखिल किए जा सकेंगे। 22 मार्च तक छह सीटें भरी जा सकती हैं। 23 मार्च को नामांकन पत्रों की जांच की जाएगी और 25 मार्च तक नाम वापस लिए जा सकेंगे।
सूत्रों के मुताबिक, सपा पुराने चेहरों के बजाय नए लोगों को प्राथमिकता देने पर विचार कर रही है और पार्टी खराब प्रदर्शन करने वाले मौजूदा एमएलसी को भी टिकट देने से इनकार कर सकती है। सूत्रों ने कहा कि कुछ विधायक उम्मीदवार, जिन्होंने यूपी विधानसभा चुनाव 2022 लड़ा और एक मामूली अंतर से हार गए, उन्हें एमएलसी चुनाव में टिकट मिल सकता है।
बहरहाल, सोशल मीडिया पर सपा प्रमुख की इस पहल पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों ने लिखा है कि इतने सारे यादवों को टिकट देकर अखिलेश ने अपनी जिन्दगी की ऐतिहासिक गलती की है। पहले तो यह पार्टी सिर्फ यादवों की पार्टी बनकर रह जाएगी। उधर, जिस मुस्लिम समुदाय ने खुलकर सपा को विधानसभा चुनाव 2022 में वोट दिए, उनकी निष्ठा को देखते हुए सिर्फ दो सीट देना, अखिलेश का परिपक्व फैसला नहीं कहा जा सकता। सोशल मीडिया पर लोगों ने हैरानी जताई कि यादवों का वोट बड़ी तादाद में बीजेपी की तरफ सरका है, जबकि सपा को यादव वोट उतने नहीं मिले, लेकिन उसके मुकाबले मुसलमानों ने सपा में जमकर वोट डाले।
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